हरनौत : चेरो सूर्यमंदिर स्थित तालाब में महान लोक आस्था के प्रतीक छठ व्रत करने का बड़ा महत्व माना जाता है. यहां दूर दूर से छठ व्रती आकर खरना से ही भगवान भास्कर की आराधना व अस्ताचलगामी सूर्य और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि चेरो सूर्य मंदिर स्थित तालाब मेंं अर्घ्य देने की बहुत पुरानी मान्यता है.
व्रती व श्रद्धालुयों को सुख समृद्धि तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसी मनोकामना के साथ हजारों की संख्या में यहां छठ व्रत रखते हैं. पुजारी के द्वारा घाटों की सफाई व मंदिर का रंग रोगन किया गया है. व्रती मंदिर परिसर में रहकर प्रसाद बनाने के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किये और आज पहली शाम का अर्घ्य दिया देंगे. यहां छठ मइया के गीतों से गूंजायमान भक्तिमय महौल बना है.
भगवान बुद्ध से जुड़ी है यह धरती:
तीस वर्षों से मंदिर में रह रहे बनारस के 90 वर्षीय पुराजी काशी नाथ अघोर पीर उर्फ काला बाबा ने बताया कि भगवान बुद्ध से जुड़ा यह धरती है. यहां के ऐतिहासिक धरती पर भगवान बुद्ध जब वैशाली से पैदल चल कर चेरो पहुंच कर ध्यान लगाये थे, तो कुछ लोगों ने उनपर ढेला फेंका दिया था. उसके बाद वे राजगीर पहाड़ पर पहुंचे थे. फिर वहां से चलकर बोध गया पहुंचे थे. यहां उनको शांति व ज्ञान मिला था.
खुदाई में मिली थी बुद्धकालीन मूर्तियां:
काला बाबा ने बताया कि तालाब में खुदाई के समय भगवान बुद्ध की मूर्ति व ईंट मिला था. ईंट पर परशुराम लिखा हुआ था. ईंट आज मौजूद है, लेकिन मूर्ति चोरों ने चुरा ले भागा. एक मूर्ति चुरा कर ले भागने के दौरान चेरो गांव में रखा था. जहां दैविक शक्ति के कारण चोर लेकर भाग नहीं सका. जिसे उसी जगह स्थापित कर दिया गया. सबसे बड़ी बात है कि मूर्ति चुराने में छह चोर शामिल थे. सभी चोरों का नारकीय जीवन जीकर मौत हुआ.
रविवार को स्नान का अलग महत्व:-
काला बाबा ने बताया कि इस तालाब के पानी में अबरख की मात्रा अधिक है. यहां स्नान करने से नोचनी, खुजली, सफेद दाग भी ठीक हो जाता है. यहां तक की नि:संतान को संतान की मनोकामनाएं भी कई को पूर्ण हुआ है. इतना गहरा पानी में हर दिन बुढ़े, बच्चे और जवान स्नान करते हैं, लेकिन आज तक किसी की डूबने से जान नहीं गई है.
सरकारी सहयोग के बिना उपेक्षित: काला बाबा ने बताया कि तालाब खुराई, मंदिर निर्माण व एक तरफ से सीढ़ी निर्माण श्रद्धालुओं के चंदा के पैसा से कराया गया है. स्थानीय विधायक व सांसद छठ घाट के लिए कह कर भी अभी तक एक पैसा नहीं दिये हैं. आठ बिगहा जमीन इस मंदिर में दान दिया गया था, लेकिन कुछ जमीन कई लोग कब्जा कर रखें हैं. जमीन का घेराबंदी भी करा दिया जाता तो कम से कम जमीन तो सुरक्षित रहता.