बिहारशरीफ : सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन का लाभ लेने वाले लाभुकों का इन दिनों डाटा तैयार किया जा रहा है. ताकि सभी डाटा को ऑनलाइन करके गलत लोगों को पेंशन लेने से रोका जा सके. जिले में दो लाख 19 हजार पेंशनधारी है. सभी पेंशनधारियों का डाटाबेस एक माह से तैयार किया जा रहा है.
अभी तक एक लाख 41 हजार पेंशनधारियो का ही डाटा तैयार हो सका है. जबकि 80 हजार लाभुकों का डाटा बनने का कार्य अधूरा है. वैसे लाभुकों नेे अब तक आधार नंबर व बैंक खाता समेत आवश्यक कागज जमा नहीं की गयी.
छह जून तक कागज जमा नहीं करने वालों को नुकसान : अब तक कागज जमा नहीं करने वाले लाभुकों को छह जून तक का समय दिया गया है. उक्त अवधि तक आधार नंबर, बैंंक खाता संख्या व अन्य कागज जमा नहीं करने वाले लाभुकों को पेंशन मिलना स्वत: बंद हो जायेगी.
पंचायत सचिव के यहां जमा कराये कागज : सामाजिक सुरक्षा का पेंशन लेने वाले लाभुकों को विभाग द्वारा सूचना दिया गया है कि नियमों का पालन करते हुए आधार कार्ड,बैंक खाता संबंधित पंचायत के सचिव के पास जमा कराये, नहीं तो पेंशन के रुपये मिलने पर ग्रहण लग सकता है.
वैसे लाभुक जो नि:शक्त है और अभी तक खाता नहीं खुला है वे माता-पिता के खाता खुलवा कर छाया प्रति जमा करें. साथ ही, उम्र का प्रमाणपत्र भी दिये जाने को कहा गया हैं. सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा की सहायक निदेशक गायत्री कुमारी बताया कि मोबाइल नंबर से लेकर आधार कार्ड,बैंक खाता, उम्र प्रमाणपत्र,नहीं देने पर पेंशन स्थगित हो जायेगा.
छह जून तक आधार नंबर व बैंक
खाता नहीं देने वालों का बंद होगा पेंशन
बोर्ड लगा है पानी का उपलब्ध है सिर्फ घास
गिरियक : चौकिये नहीं जनाब! जो तसवीर आपके सामने है उसमें लिखा पीने का वहां न तो जल है और ना ही नल का कोई निशान. जहां बोर्ड तो पानी का लगा हुआ है, लेकिन दूर दूर तक नजर डाले तो चापाकल भी नही है. अगर है तो सिर्फ जंगली घास और बड़े बड़े पौधे फिर भी लिखा है यहां पीने पानी उपलब्ध है. यह तस्वीर बयान करती है कि प्रखंड प्रशासन द्वारा मतगणना के समय कितनी लापरवाही बरती जा रही है.
पंचायत चुनाव के लिए दो जून से शुरू मतगणना में गिरियक प्रखंड परिसर में काफी बदइंतजामी देखने को मिल रही है. गिरियक प्रखंड पसिर में ट्रासेम भवन में हो रही मतणना के दौरान जहां अभिकर्ता और अभ्यर्थी के लिए पानी पीने के भी ंइंजमाम ठीक से नहीं किये गये. इसके कारण जहां मतगणना हाल के के अंदर पानी के लिए एजेंट परेशान रहे वहीं अभ्यर्थी भी पानी पीने के लिए भटकते देखे गये.
सभी ने मुकम्मल व्यवस्था नहीं करने के लिए प्रखंड प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेवार ठहराया है अभ्यर्थियों को कहना था कि जब पानी ढूंढने के लिए गये तो झाडि़यों में पानी का बोर्ड तो लगाया गया था लेकिन वहां पर पहुंचना मुश्किल था और पानी भी नही था. इस तरह की व्यवस्था करने से बेहतर था कि उन्हीं को कह दिया जाता कि घर से पानी कास पानी और खाना आते तो यह ज्यादा अच्छा था.