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प्रभारियों को किया अलर्ट पहल. जेइ के इलाज के लिए सदर अस्पताल में खुलेगा वार्ड

मलेरिया विभाग में खुलेगा जिला नियंत्रण कक्ष बिहारशरीफ : बच्चों को जानलेवा बीमारी जापानी इंसेफलाइटिस (जेइ) से बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग जुट गया है.जेइ/एइएस को लेकर जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों व अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षकों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. चिहिंत जेइ के संदिग्ध मरीजों […]

मलेरिया विभाग में खुलेगा जिला नियंत्रण कक्ष

बिहारशरीफ : बच्चों को जानलेवा बीमारी जापानी इंसेफलाइटिस (जेइ) से बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग जुट गया है.जेइ/एइएस को लेकर जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों व अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षकों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. चिहिंत जेइ के संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने मुकम्मल व्यवस्था की है. इसके तहत सदर अस्पताल बिहारशरीफ में अलग से जेइ वार्ड खोला जायेगा. जेइ के संदिग्ध मरीजों को इसी वार्ड में भरती कर चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जायेगी.
उपाधीक्षक को वार्ड खोलने का निर्देश
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि जेइ/एइएस के संदिग्ध मरीजों की पहचान होने की स्थिति में उसे बेहतर इलाज के लिए ठोस व्यवस्था की जाय. इसके तहत सदर अस्पताल में जेई वार्ड खोलने को कहा गया है. इस वार्ड में फिलहाल चार बेड की व्यवस्था की जाएगी. इसी तरह हरेक पीएचसी में वार्ड खोले जाएंगे. पीएचसी के जेई वार्ड में दो बेड लगाये जाएंगे.
बीमारी के लक्षण
-तेज बुखार आना एवं लगातार बुखार को बने रहना.
– शरीर में चमकी होना
-दांत पर दांत बैठना
– पूरे शरीर या किसी खास अंग में ऐंठन होना
-बच्चे का सुस्त होना
-चिंउटी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना
बीमारी से बचाव के उपाय
बिस्तर पर मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए
-पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने ताकि मच्छरों के काटने से बचा सके
गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए यदि ओआरएस का घोल नहीं हो तो नीबूं पानी अवश्य पिलाना चाहिए
-बगीचे में गिरे हुए जूठे फल बच्चों को नहीं खाना चाहिए
जिला मलेरिया विभाग में खुलेगा नियंत्रण कक्ष
अप्रैल से दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह तक जेई के मरीज मिलते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए जिला मलेरिया पदाधिकारी को जिला नियंत्रण कक्ष खोलने का निर्देश दिया है. ताकि लोगों को इससे बचाव की जानकारी आसानी से मिल सके. लोग भी इस नम्बर पर फोन कर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इस नियंत्रण कक्ष में एक कर्मचारी की प्रतिनियुक्ति की जाएगी.
गांव स्तर पर लोग होंगे जागरूक
इस बीमारी से बचाव के लिए गांव-कस्बों में रहने वाले लोगों को जागरूक किया जाएगा. जिला महामारी पदाधिकारी डा.ॅ मनोरंजन कुमार ने बताया कि ताकि बच्चे में बीमारी के लक्षण प्रतीत होने पर अभिभावक लोग सजगता दिखाते हुए बच्चे का इलाज करा सके. इसके लिए आशा,आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षित आशा गांव कस्बों में जाकर बीमारी के लक्षण से लोगों को जानकारी से सकेंगी. ये लोग पीएचसीस्तर पर मासिक बैठक में प्रशिक्षित होंगी. पीडि़त मरीजों को बेहतर चिकित्सा के लिए अस्पतालों तक लाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था रहेगी.
अप्रैल से दिसंबर माह तक मिलते हैं मरीज
अमूमन तौर पर जेई के मरीज अप्रैल से लेकर दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह तक जेई/एईएस के मरीज मिलते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति ,पटना ने हिदायत बरतने का निर्देश जिला स्वास्थ्य विभाग को देते हुए ठोस कदम उठाने को कहा है. इस आदेश के आलोक में जिला स्वास्थ्य विभाग ने ठोस कदम उठाते हुए उक्त व्यवस्था करने में लगी है. इस बीमारी की रोकथाम व बच्चों को इस बीमारी से बचाव के लिए सभी प्रभारियों व उपाधीक्षकों को सजगता बरतने को कहा गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जेइ/एइएस की बीमारी से बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने मुकम्मल तैयारी कर रखी है. सभी प्रभारियों को अलर्ट कर दिया गया है. क्षेत्र में जेई से पीड़ित संदिग्ध बच्चे मिलने पर उसका तुरंत उपचार करने का निर्देश दिया गया है.
डाॅ सुबोध प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन,नालंदा

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