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छठव्रत. उदीयमान सूर्य को अर्घ आज, घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

उगS न सूरुज देव, भइले अर्घ के बेर… गरमी पर भारी पड़ी आस्था, छठ गीतों से वातावरण बना धार्मिक बिहारशरीफ : सूर्योपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के लिए विभिन्न छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. विशेष रूप से जिले के बड़गांव तथा औंगारी धाम […]

उगS न सूरुज देव, भइले अर्घ के बेर…

गरमी पर भारी पड़ी आस्था, छठ गीतों से वातावरण बना धार्मिक
बिहारशरीफ : सूर्योपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के लिए विभिन्न छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. विशेष रूप से जिले के बड़गांव तथा औंगारी धाम में दो दिन पूर्व से ही श्रद्धालुओं द्वारा तंबू-खूंटा गाड़ दिया गया था. श्रद्धालुओं द्वारा पवित्र नदी-तालाबों में स्नान कर सोमवार को खरना का प्रसाद बनाया गया. मंगलवार को दिन ढलते ही छठव्रतियों का समूह छठ गीत गाते हुए नदी तालाबों में अर्घ देने के लिए घरों से निकल पड़ा.
छठ गीतों से पूरा वातावरण धार्मिक बन गया है. विशेष रूप से सूर्यधाम बड़गांव तथा औंगारी में तो छठव्रतियों का तांता लगा हुआ है. इन स्थलों पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने पर छठ व्रत का अनुष्ठान करने आते हैं. इसके लिए नहाय-खाय के दिन से ही भारी संख्या में श्रद्धालु इन तीर्थ स्थलों पर डेरा जमाये हैं. सभी अनुष्ठानों के लिए प्रसाद तथा पकवान भी यहीं पका कर भगवान भास्कर को अर्पित किये जाते हैं.
इसके लिए श्रद्धालुओं द्वारा बड़गांव में बड़ी संख्या में अस्थायी रूप से झोंपड़ियां बना कर अनुष्ठान पूरा किया जा रहा है. सूर्य मंदिर तालाब के आसपास बांस, धोती-साड़ी आदि के द्वारा बनाये गये सैकड़ों अस्थायी तंबुओं की बस्ती बस गयी है. बुधवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जायेगा. इसी के साथ ही बड़गांव तथा औंगारी धाम में अस्थायी रूप से बने सैकड़ों तंबू भी उखाड़ लिये जायेंगे. एकंगरसराय (नालंदा) संवाददाता के अनुसार, धार्मिक स्थल सूर्य नगरी औंगारी धाम, पिरोजा, धुरगांव, ओप,
अमनार, तेल्हाड़ढ़, धनगावां, उसमानपुर व सूर्य मंदिर तालाबों में छठव्रतियों ने डुबकी लगा कर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ दिया. छठव्रतियों एवं श्रद्धालुओं की सेवा में सूर्य नगरी जल सहयोग विकास समिति के लोग कई दिनों से लगे हुए हैं. विधायक चंद्रसेन प्रसाद ने मेले में पहुंच कर जायजा लिया और अधिकारियों व कर्मियों को कई दिशा-निर्देश दिये.
सूर्यधाम बड़गांव तथा औंगारी का है पौराणिक महत्व : जिले के सूर्य मंदिरों में बड़गांव तथा औंगारी धाम में सूर्योपासना का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है. यही कारण है कि यहां चैती छठ हो अथवा कार्तिक मास की छठ दोनों में जिले भर के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है.
इन मौकों पर झारखंड, बंगाल, उड़ीसा आदि प्रदेशों के भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ व्रत करने के लिए आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण के पौत्र शाम्ब का कुष्ठ रोग बड़गांव तालाब स्नान करने से ही ठीक हुआ था. वे यहां कई वर्षों तक सूर्योपासना की थी. औंगारी धाम स्थित सूर्य मंदिर भी पौराणिक काल से ही श्रद्धालुओं के आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है. लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां छठ व्रत करने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

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