आप कर्म करो, फल प्रभु के हाथ में
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वीरायतन में श्रीराम कथा यज्ञ में माेरारी बापू ने कहा,दीक्षा वह जो मन से स्वीकार हो
आप कर्म करो, फल प्रभु के हाथ में राजगीर. वीरायतन में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा यज्ञ के आठवें दिन शनिवार को प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने लोगों के दिल को छू लेने वाली अमृत वाणी से भावविभोर कर दिया. श्री राम कथा के सार के रूप में उन्होंने सबों को सुखी रहने एवं खुश रहने […]
राजगीर. वीरायतन में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा यज्ञ के आठवें दिन शनिवार को प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने लोगों के दिल को छू लेने वाली अमृत वाणी से भावविभोर कर दिया. श्री राम कथा के सार के रूप में उन्होंने सबों को सुखी रहने एवं खुश रहने के कई रहस्य बताये. उन्होंने कहा कि जो इनसान अपनी औकात व क्षमता को देख सरल व तरल व्यवहार करता है, उससे भला अच्छा व सत्य कौन होगा. अहम का सदैव त्याग करना चाहिए.
आप कर्म करो, फल तो प्रभु के हाथ में हैं. वो तो देंगे ही देंगे. उन्होंने एक संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा कि एक भक्त ने पूछा कि बापू श्री राम की लंबाई क्या होगी. तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि जिनका पांव पाताल और सिर आकाश में हैं, उसकी लंबाई क्या हो सकती है, तुम जान लो और उनकी लंबाई नाप लो. उन्होंने कहा कि दीक्षा वे है जो मन से स्वीकार हो. कभी भी साधक, साधु और शिष्य को दीक्षा थोपी नहीं जा सकती. दीक्षा वही है, जिसे मन और हृदय स्वीकार करता है और दिल में करूणा, प्रतिष्ठा होती है. कटुता और लोभ सदैव के लिए मिट जाता है. किसी के दबाव में दीक्षा दी या ली जाती है
तो वह दीक्षा सकारात्मक नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि एक पल है जीना, एक पल है मरना, एक पल है मिलन, एक पल है बिछड़ना, यह तो दुनिया की रीति है. यह विधि का विधान है. उन्होंने माता चंदना जी महाराज के कृतार्थ, परोपकार, त्याग व तप की चर्चा करते हुए कहा कि ये मां है जो एक सूखी रोटी के टुकड़े पर पलती है, जीती है और हजारों, लाखों लोगों के कल्याण के लिए समर्पित है. भगवान महावीर स्वामी के बताये रास्ते पर चल कर देश दुनिया में जन कल्याण का सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रही है. मोरारी बापू ने कहा कि प्रभु श्री राम कथा का अंश और सार वह है
जो महावीर स्वामी जी ने कही है. उन्होंने कहा कि ज्ञान, दर्शन, चरित्र और सभ्यता यही चार सूत्र है. श्री राम चरित्र मानस प्रभु श्री राम का कथा ग्रंथ का ही नाम है.
मोरारी बापू ने कहा कि किसी को कभी भी एक पक्षीय बात न सोचनी चाहिए और न ही अपने होने पर गर्व, अहंकार, इनसान को खा जाता है. उन्होंने महाभारत पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि मौका मिले तो इसे अवश्य पढ़ना एवं सुनना चाहिए. इनसान को जानने के लिए नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए. इसके दोनों पक्षों को जानना चाहिए. उन्होंने कहा कि शरीर को सुखी और स्वस्थ रखना है तो श्रम यज्ञ करो अर्थात शरीर को जरूरत से ज्यादा आराम मत दो.
शरीर से श्रम कना ही श्रम यज्ञ है. इस मौके पर द्वारिका के स्वामी केशवानंद जी, वीरायतन प्रमुख आचार्य श्री चंदना जी महाराज, साध्वी संप्रज्ञा जी, साध्वी संघमित्रा जी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
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