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कोई है! जो लुटेरों के लिए करता है मुखबिरी

बैंक से मोटी रकम निकालने वालों की खबर पहुंचती है अपराधियों के पास तीन दिनों में घटी दो लूट की वारदात का सिमटम मिलता है एक दूसरे से स्लीपर सेल की तलाश में जुटा है पुलिस का खुफिया विंग,घटना से पूर्व अपराधियों की होती है बैठक मोबाइल फोन नहीं रखते हैं अपने पास बिहारशरीफ : […]

बैंक से मोटी रकम निकालने वालों की खबर पहुंचती है अपराधियों के पास

तीन दिनों में घटी दो लूट की वारदात का सिमटम मिलता है एक दूसरे से
स्लीपर सेल की तलाश में जुटा है पुलिस का खुफिया विंग,घटना से पूर्व अपराधियों की होती है बैठक
मोबाइल फोन नहीं रखते हैं अपने पास
बिहारशरीफ : लुटेरों का निहितार्थ रहस्य बना हुआ है.पुलिस माथा पीट रही है.खुफिया विंग की मेहनत अभी तक बेअसर है.बैंक से मोटी रकम निकालने वाले इनके टारगेट पर होते हैं. सुनसान क्षेत्रों में बने घरों पर इनकी नजर होती है.
घटना से पहले रेकी होती है,और सबसे बड़ी बात,कोई है,जो लुटेरों के लिए मुखबिरी कर रहा है.मुखबिरी की जानकारी खुफिया विंग भी मानती है,लेकिन ऐसे मुखबिर की पहचान पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है.
क्राइम ऑफ नेचर के मुताबिक अभी तक उन्हीं के साथ लूट की घटना घटी है,जो बैंक से रुपये की निकासी कर गंतव्य के लिए निकले हैं.तीन दिनों के भीतर घटी लूट की दो घटनाएं इसके ताजा उदाहरण हैं. लूट के दोनों तरीके एक दूसरे काफी मिलता जुलता है. दोनों में पीड़ितों का संबंध बैंक से जुड़ा है. दोनों घटनाओं को बाइक सवार दो ही अपराधियों द्वारा अंजाम दिया गया.दोनों में बाइक के पीछे बैठा बदमाश ही रुपयों को छीना है.दोनों घटनाओं में हथियार का प्रयोग नहीं किया गया.
क्राइम के थ्री एक्सपर्ट की रहती है भूमिका
लूट की ऐसी घटनाओं में क्राइम के थ्री एक्सपर्ट की भूमिका काफी बड़ी होती है.पहली भूमिका उनकी होती है,जो लुटेरों के लिए मुखबिरी का काम करते हैं.दूसरा एक्सपर्ट स्लीपर सेल का काम करता है,जबकि तीसरे की जिम्मेवारी लूट से जुड़ी होती है.
घटना के तत्काल बाद इनका स्लीपर सेल काफी सक्रिय हो जाता है.वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों को सुरक्षित रखना एवं पुलिस की नजरों से इन्हें बचाना इनकी बड़ी जिम्मेवारी होती है.लूटपाट में ऐसे अपराधी जिस बाइक का प्रयोग करते हैं,उस गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं होता है,जबकि घटना के तत्काल बाद बाइक पर नंबर प्लेट चढ़ा दिया जाता है.
मोबाइल फोन से नहीं रखते हैं वास्ता,बैठक कर तैयार करते हैं क्राइम का ब्ल्यू प्रिंट
इनकी टोह में जुटी पुलिस यह मान कर चल रही है कि ऐसे अपराधी मोबाइल फोन से वास्ता नहीं रख रहे हैं,घटना को अंजाम देने से पूर्व इनके द्वारा बैठक आयोजित की जाती है.बैठक में ही अपराध का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया जाता है.

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