बिहारशरीफ : सरसों की अच्छी फसल देख किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं है. सरसों के पीले फूलों की खुशबू से किसानों के चेहरे खिले जा रहे हैं. पिछले दिनों बारिश ने किसानों को धोखा दिया. मॉनसून की दगाबाजी से धान की फसल बरबाद हो गयी, पर किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ा.
धान की फसल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों ने तेलहन फसल पर पूरा जोर दिया है. जिले में सैकड़ों एकड़ खेत में सरसो की खेती की गयी है. सरसो की फसल 120 से 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है. सरसों की फसल को सही समय पर कटाई करना जरूरी है. समय पर फसल की कटाई नहीं करने से फलियां चटकने लगती है और दानें जमीन पर जाते हैं. इससे उपज में 5 से 10 प्रतिशत की कमी हो जाती है.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना कि इस मौसम में सरसो की फसल में चेंपा या पेटेंड कीट का प्रकोप बढ़ सकता है. वैसे पीला रंग माता लक्ष्मी को भाता है. माना जाता है कि पीला रंग बुद्धि व विकास का प्रतीक है. पढ़ाई-लिखाई, एकाग्रता और मानसिक स्थिरता के लिए पीला रंग माना जाता है. रंगों का हमारे जीवन से गहरा संबंध है.
विभाग के तकनीकी सहायक धनंजय कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने का जो अभियान चलाया गया, उसका सार्थक असर देखा जा रहा है. सरसों जैसी नकदी फसल की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी है.