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निगम आनंद के जज्बे को सलाम

जन्मजात विकलांग होने के बाद भी नहीं ले रहा राइटर की मदद विकलांगता किसी के लिए अभिशाप बन जाती है तो कोई इस विकलांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है. दोगुने उत्साह से ऐसा करने की कोशिश करता है, जिससे देश-दुनिया में उसका नाम हो. ऐसे ही जज्बे का छात्र निगम आनंद स्थानीय […]

जन्मजात विकलांग होने के बाद भी नहीं ले रहा राइटर की मदद
विकलांगता किसी के लिए अभिशाप बन जाती है तो कोई इस विकलांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है. दोगुने उत्साह से ऐसा करने की कोशिश करता है, जिससे देश-दुनिया में उसका नाम हो. ऐसे ही जज्बे का छात्र निगम आनंद स्थानीय डीएवी पावर ग्रिड कैंपस में सीबीएसइ 10 वीं का परीक्षा दे रहा है. इस परीक्षार्थी का जज्बा देख केंद्राधीक्षक सहित वीक्षकों व अन्य परीक्षार्थी आश्चर्यचकित हैं.
बिहारशरीफ : जिस व्यक्ति के दोनों हाथों की हथेली न हो और दोनों पैरों में घुटना व उसके नीचे का हिस्सा ही न हो तो उस व्यक्ति का जीवन खुशहाल नहीं माना जाता है. जब यह विकलांगता जन्मजात हो तो उसकी जिंदगी को कष्टमय ही कहा जायेगा.मगर इस धारणा और मान्यता को चुनौती दे रहा है स्थानीय सदर आलम मेमोरियल सेकेंडरी स्कूल का छात्र निगम आनंद. बख्तियारपुर, पुरानी बाइपास रोड निवासी निगम आनंद को जन्म से ही यह अभिशाप के रूप में मिला.
इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और आज वह स्थानीय डीएवी स्कूल, पावर ग्रिड कैंपस में सीबीएसइ दसवीं की परीक्षा दे रहा है. निगम आनंद की परेशानी को देखते हुए केंद्राधीक्षक ने उसके लिए राइटर व अलग व्यवस्था करने का प्रस्ताव दिया. मगर छात्र ने इसे अस्वीकार कर दिया.धुन का पक्का यह छात्र अन्य छात्रों के साथ ही परीक्षा दे रहा है. खास बात यह है कि सभी छात्र टेबल पर कॉपी रख कर लिख रहे हैं. वहीं निगम आनंद बैठने वाली बेंच पर उत्तरपुस्तिका लिख रहे हैं. सबसे अहम बात यह है कि उसके क्लासमेट हाथ की अंगुलियों से कलम पकड़ कर लिख रहे हैं.
वहीं निगम आनंद दोनों कलाइयों से कलम पकड़ रखी है. निगम आनंद को यह पसंद नहीं है कि विकलांग होने के कारण कोई उस पर रहम करें. उसे विकलांग कहलाना भी पसंद नहीं है. यही कारण है कि हाथ-पैर से विकलांग होने के बावजूद निगम आनंद के पिता ने इतने दिनों बाद भी उसका विकलांगता प्रमाण पत्र नहीं बनवाया है. वह विशेष आरक्षण के ही जीवन में सफलता प्राप्त करने की लड़ाई न केवल लड़ना चाहता है, बल्कि उसे हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है.
साइंटिस्ट बनने की है तमन्ना :
इतनी परेशानियों के बाद भी निगम आनंद का हौसला व जज्बा कम नहीं हुआ है. वह पढ़-लिख कर साइंटिस्ट बन कर देश की सेवा करना चाहता है. पिता उदय कुमार सिंह बताते है कि निगम आनंद बचपन से तीक्ष्ण बुद्धि का नहीं मगर मंद बुद्धि का भी नहीं रहा. 10 वीं तक की पढ़ाई के दौरान उसका प्राप्तांक 85 प्लस रहा है. निगम बताता है कि उसके माता-पिता ने हमेशा उसकी हौसलाअफजाई की है.
‘‘ जिस व्यक्ति में हिम्मत होता है उसकी मदद खुदा भी करता है. इसका उदाहरण निगम आनंद है. इस छात्र का हिम्मत व जज्बा देख कर आश्चर्य होता है. हमारी कामना यही है कि भगवान उसे साहस व हिम्मत दे .’’
संजय सिन्हा, केंद्राधीक्षक सह प्राचार्य, डीएवी पावर ग्रिड कैंपस
‘‘निगम आनंद जब मेरे विद्यालय में एडमिशन के लिए पहली बार आया था तो उसे देख कर मैं हैरान थी. इस बालक की हिम्मत व जज्बा काबिलेतारीफ है. मेरी यही कामना है कि खुदा इस छात्र के आगे के जीवन को सुखमय बनाये.’’
रूबीना निशात, प्राचार्या, सदर आलम मेमोरियल सेकेंडरी स्कूल

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