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फर्श पर बैठ कर पढ़ते हैं छात्र कुव्यवस्था. शीतला उच्च विद्यालय मघड़ा में संसाधनों की कमी

बिहारशरीफ : जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से सटे पि›म एकंगरसराय रोड में राजकीयकृत शीतला उच्च विद्यालय मघड़ा स्थित है. सोमवार की दोपहर स्कूल के बाहर काफी तादाद में विद्यार्थी गप करते नजर आये. स्कूल के भीतर भी छात्र-छात्राएं झुंड में नजर आये. दरअसल वर्ग नवम व दशम की प्रथम पाली की परीक्षा समाप्त हुई थी तथा […]

बिहारशरीफ : जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से सटे पि›म एकंगरसराय रोड में राजकीयकृत शीतला उच्च विद्यालय मघड़ा स्थित है. सोमवार की दोपहर स्कूल के बाहर काफी तादाद में विद्यार्थी गप करते नजर आये. स्कूल के भीतर भी छात्र-छात्राएं झुंड में नजर आये.

दरअसल वर्ग नवम व दशम की प्रथम पाली की परीक्षा समाप्त हुई थी तथा द्वितीय पाली की परीक्षा शुरू होने का विद्यार्थी इंतजार कर रहे थे. कार्यालय में प्रधानाध्यापक अन्य शिक्षकों की मदद से द्वितीय पाली की परीक्षा के प्रश्नपत्र व उत्तरपुस्तिकाएं मिलाने में व्यस्त थे. अन्य शिक्षक एक कमरे में नाश्ता कर रहे थे. विद्यालय में प्रवेश करते ही विद्यालय की बदहाली अपनी कहानी कहने लगी. काफी छोटे से प्लॉट में बने इस उच्च विद्यालय के कमरे अत्यंत जर्जर हो चुके हैं. सांसद मद से बने दो नये कमरों की स्थिति ठीक है.
शेष पांच कमरों में से एक खपरैल के कमरे की हालत ज्यादा खराब है. इसमें विद्यालय के टूटे-फूटे बेंच-डेस्क रखे गये हैं. दो अन्य कमरों की स्थिति भी गंभीर है. इन दोनों कमरों में तो विद्यार्थियों के बैठने के लिए बेंच-डेस्क भी नहीं है. विद्यार्थी जमीन पर बैठ कर परीक्षा देने को विवश हैं. ऊपर से बारिश का पानी भी लगातार जहां-तहां टपक रहा था. छात्राओं के दो कमरों में तो कुछ बेंच-डेस्क हैं भी, लेकिन छात्रों के नसीब में तो यह भी नहीं है. कई छात्रों ने कहा कि कॉपी-सवाल मिलने के बाद पानी नहीं टपकने वाली जगह की तलाश कर वहीं बैठ कर लिखते हैं.
स्टाफ रूम में प्रयोगशाला तथा पुस्तकालय भी : विद्यालय में कमरों की कमी का आलम यह है कि एक-एक कमरे में दो-ढाई सौ छात्राओं को बैठ कर परीक्षा देनी पड़ रही है. इसी प्रकार विद्यालय के स्टाफ रूम में ही प्रयोगशाला का उपकरण तथा पुस्तकालय की किताबें अलमारी में रखी गयी हैं. शिक्षकों का कहना है कि जगह के अभाव में इस प्रकार की व्यवस्था की गयी है. विद्यालय में छात्राओं का कॉमन रूम भी नहीं रहने के कारण उन्हें बरामदे में ही गपशप कर अपना खाली समय बिताना पड़ता है.
कई गांवों के विद्यार्थी पढ़ते हैं यहां
शहर के सटे गांवों मघड़ा, साठोपुर, बियावानी, मकनपुर, डुमरावां, लालबाग, गोलापुर, सर्वोदय नगर आदि दर्जन भर गांवों के छात्र-छात्राओं का शिक्षा का माध्यम है यह विद्यालय. विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिये जाने के कारण विद्यालय बिल्कुल बदहाल नजर आता है. छोटे से कैंपस में एक हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को शिक्षा प्रदान करना आसान नहीं है. शिक्षक बताते हैं कि बेंच-डेस्क की कमी के कारण दरी बिछा कर पढ़ाई होती है. बरसात में तो पानी टपकने से दरी भी भींग जाती है.
विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव
विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. यहां पूर्व से मौजूद एकमात्र शौचालय भी काम लायक नहीं है तथा विभाग द्वारा दिये गये तीन कामचलाऊ शौचालय का आज तक कनेक्शन ही नहीं हुआ है. इससे विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं को भारी परेशानी होती है. पेयजल के लिए एक मोटर तथा टंकी उपलब्ध है. विद्यालय के दो चापाकल खराब अवस्था में हैं. विद्यालय में नौ शिक्षक मौजूद हैं, लेकिन संस्कृत तथा गणित के शिक्षक मौजूद नहीं रहने से पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है. यहां खेल शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन खेल का मैदान ही नहीं है. विद्यार्थियों को सर्वाधिक परेशानी कमरों तथा उपस्करों के अभाव से हो रही है. विभाग को समस्याओं से अवगत कराया गया है

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