मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में गुरुवार को चमकी-बुखार से पीड़ित चार बच्चों को भर्ती किया गया. सभी बच्चों को तेज बुखार थी. एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी है, लेकिन सभी बच्चे एइएस के मरीज नहीं हैं.
कई तरह की बीमारियों में सामान्य लक्षण
कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होने वाले बच्चों में भी इस तरह के लक्षण दिखते हैं. सामान्य रूप से एक-दो दिन केे इलाज में चमकी-बुखार ठीक हो जाता है. जो भी बच्चे यहां भर्ती हो रहे हैं, उनकी एइएस के प्रोटोकॉल के अनुसार जांच की जा रही है. जिन बच्चों को आज भर्ती किया गया है, उनकी जांच शुक्रवार को होगी. रिपोर्ट आने में चार-पांच दिन लगेंगे. इसके बाद ही ये बच्चे एइएस से पीड़ित हैं या नहीं, इस संबंध में कुछ कहा जा सकता है.
एइएस व जेइ में फर्क बताया
एनएमसीएच के दो चिकित्सक डॉ अविनाश कुमार और डॉ अखिलेश कुमार ने ऑनलाइन प्रशिक्षण कैंप के तहत गुरुवार को सदर अस्पताल के डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी. इसमें इन्हें एइएस और जेइ में फर्क बताया गया.
अगर समय पर बच्चा अस्पताल आ जाए तो बचेगी जान
शिशु रोग विभागाध्यक्ष ने कहा कि अगर समय पर बच्चा अस्पताल आ जाए तो उसकी जान बच जाती है. बता दें कि इस साल आठ बच्चों में एइएस की पुष्टि की गयी है. इनमें छह बालक और दो बालिका है. इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो चुकी है.
ट्रेनिंग में बीमारियों के उपचार के बारे में बताया गया
ट्रेनिंग में शामिल एसीएमओ डॉ सुभाष प्रसाद सिंह ने बताया कि पटना के डॉक्टरों ने बताया कि जिसमें वायरस का पता चले जाए, वह केस जेइ का है और जिसमें वायरस का पता नहीं चले वह एइएस है. हमलोगों को इन बीमारियों के उपचार के बारे में भी बताया गया. ट्रेनिंग में उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी, डॉ चंद्रशेखर प्रसाद, डॉ सतीश कुमार, डॉ ज्ञानेंदु मुख्य रूप से मौजूद थे.