मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के पीजी हॉस्टलों में छात्रों की गुटबाजी के कारण समय-समय पर तनाव उत्पन्न होता रहता है. पर इसके साथ ही यह विवि के लिए घाटे का सौदा भी साबित हो रहा है. विवि को प्रतिवर्ष हॉस्टल के रख-रखाव व कर्मियों के भुगतान पर करीब 11.47 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि प्रतिवर्ष आय औसतन छह से सात लाख रुपये ही है. यही नहीं हॉस्टल मद में पूर्व से जमा राशि भी अब खत्म होने की स्थिति में है. इसका कारण हॉस्टल पर अवैध छात्रों का कब्जा है.
विवि में पीजी ब्वॉयज हॉस्टल की संख्या तीन है. तीनों हॉस्टल मिला कर छात्रों के रहने की क्षमता 242 है. आमतौर पर तीनों ब्वॉयज हॉस्टल करीब-करीब भरे रहते हैं. पर इसमें अधिकांश अवैध छात्र होते हैं. पीजी वन हॉस्टल, जिसकी क्षमता 86 छात्रों की है, उसमें पंजीकृत छात्रों की संख्या महज 41 है. इसी तरह पीजी थ्री में 106 की जगह 48 छात्र ही पंजीकृत है. पीजी टू हॉस्टल में फिलहाल 52 छात्र पंजीकृत है. ब्वॉयज हॉस्टल से गल्र्स हॉस्टल की स्थिति कुछ ठीक है. गल्र्स के पीजी वन हॉस्टल में 100 की जगह 65, पीजी टू में 102 में 102 व पीजी थ्री में 90 में 88 छात्र पंजीकृत हैं. हॉस्टल में रहने के लिए प्रति छात्र/छात्र प्रतिवर्ष 1550 रुपये लिये जाते हैं.
कमरा एलॉट करने मे नियमों की अनदेखी : विवि नियमों के तहत पीजी हॉस्टल में सिर्फ पीजी के छात्र ही रह सकते हैं. पर विवि में इस नियम की वर्षो से अनदेखी कर पीएचडी व एलएलबी के छात्रों को भी रहने की अनुमति मिल रही है. यह अनुमति खुद विवि के अधिकारियों की ओर से दी जाती रही है. हालांकि इसके एवज में छात्र-छात्राओं से प्रतिवर्ष एक हजार रुपये अतिरिक्त राशि ली जाती है. इसके कारण कई बार पीजी छात्र-छात्रओं को कमरों से वंचित रहना पड़ता है.