मुजफ्फरपुर : नगर निगम चुनाव में दलीय बाधाओं को तोड़कर वर्चस्व स्थापित करने की होड़ लगी हुई है. इसके लिए नेताओं के बीच आंतरिक गठबंधन चल रहा है. दल की नीति व सिद्धांतों को ताक पर रखकर कई बड़े सूरमा स्थानीय राजनीति में उलझते नजर आ रहे हैं. निगम के पहले चुनाव से लेकर अब तक किंगमेकर की भूमिका निभाते आ रहे पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी के पक्ष में कुछ लोग गोलबंद हो रहे हैं, तो कुछ लोग उन्हें इस बार चक्र व्यूह में घेरने के लिए एक साथ जुट रहे हैं.
विजेंद्र चौधरी को पहली बार विधायक बनाने में सहयोग व सारथी के रूप में काम करने वाले नंदकुमार साह उर्फ नंदू बाबू श्री चौधरी के साम्राज्य विस्तार के बजाय उनके साम्राज्य को ध्वस्त करने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं और खुद मेयर पद के उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में उतर गये हैं. अब मतदाताओ के ऊपर निर्भर करता है कि उन्हें राजनीतिक चाणक्य की प्रतिष्ठा मिल पाती है कि नहीं. क्योंकि रविवार की शाम तक मतदाताओं ने उनके भाग्य को इवीएम में कैद कर दिया है.
इस चुनाव में यह स्पष्ट रूप से दो ध्रुवों का चुनाव दिख रहा है. दोनो गुट अपने समर्थकों के अधिक संख्या में न सिर्फ जीतने के कयास लगा रहे हैं, बल्कि अपने समर्थक को मेयर व उप मेयर देखने व बनाने की भी सपना संजो रहे हैं. सूरते हाल यह है कि विजेंद्र चौधरी बनाम सुरेश शर्मा के बीच चल रही इस राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में राज्य के कद्दावर नेता पूर्व मंत्नी रमई राम के भी सुरेश शर्मा को अप्रत्यक्ष समर्थन किये जाने की चर्चा चल रही है.