मुजफ्फरपुर : बंदरा प्रखंड के विभिन्न स्कूलों में 61 पंचायत व प्रखंड शिक्षकों का टीइटी सर्टिफिकेट फर्जी मिला है, जिनका विभाग ने स्कूल में उपस्थिति व वेतन रोकने का दावा किया है. इसके साथ ही उनके खिलाफ थाने में एफआइआर भी दर्ज करा दिया गया है. हालांकि, विभागीय निरीक्षण में विभाग के उच्चाधिकारियों के दावे की पोल खुल गयी.
सर्वशिक्षा अभियान के जिला मीडिया संभाग प्रभारी ने सोमवार को बंदरा प्रखंड के प्राइमरी स्कूल मधुरापुर लखराज का निरीक्षण किया, तो यह देख कर हैरान रह गये कि शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका पर पंचायत शिक्षक रामबाबू प्रसाद का न केवल नाम अभी भी चल रहा है, बल्कि पिछले दिनों की हाजिरी भी बनी है, जबकि उनके खिलाफ फर्जी नियोजन के मामले में बीइओ ने एफआइआर दर्ज करायी है. निरीक्षण के समय रामबाबू उपस्थित नहीं थे.
विभागीय लोगों का कहना है कि प्रखंड में चिह्नित फर्जी शिक्षकों में से तीन-चार ने अपना सर्टिफिकेट सही होने का दावा अधिकारियों के यहां किया है, इनमें रामबाबू प्रसाद भी है. डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा व सर्वशिक्षा अभियान मो असगर अली ने बताया कि संभाग प्रभारी की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित स्कूल के हेडमास्टर से स्पष्टीकरण पूछा जा रहा है कि एफआइआर व कार्रवाई के बावजूद किन परिस्थितियों में आरोपित शिक्षक से शैक्षणिक काम में सहयोग लिया जा रहा है. स्कूल में निरीक्षण के समय 65 बच्चे उपस्थित थे, जबकि केवल हेडमास्टर ही थे. यहां 100 बच्चों का नामांकन है.
एचएम का वेतन रोका
जिला मीडिया संभाग प्रभारी ने बंदरा प्रखंड के ही राजकीय प्राथमिक विद्यालय पटसारा कन्या का सुबह 10.55 बजे निरीक्षण किया तो बच्चों की हाजिरी नहीं बनी थी. भौतिक सत्यापन में मात्र 17 बच्चे ही उपस्थित मिले, जबकि नामांकन 148 बच्चों का है. एमडीएम रजिस्टर की जांच की तो पांच मई को 96 व छह मई को 102 बच्चों की उपस्थिति बनायी गयी है. प्रधानाध्यापक चंद्र किशोर झा ने जांच के लिए अन्य कोई रिकॉर्ड नहीं दिखाया. बच्चों ने बताया कि अभी तक उनके खाते में छात्रवृत्ति व पोशाक की राशि भी नहीं भेजी गयी है. डीपीओ मो असगर अली ने बताया कि प्रधानाध्यापक का वेतन अगले निरीक्षण तक के लिए रोकने के लिए संस्तुति की गयी है. वहीं मध्य विद्यालय पटसारा में शैक्षणिक माहौल व एमडीएम की गुणवत्ता ठीक थी. यहां 480 बच्चों का नामांकन है, जबकि स्कूल में 209 बच्चे उपस्थित मिले. संभाग प्रभारी ने शिक्षकों के साथ बैठक की. सुझाव दिया कि अभिभावकों की बैठक बुला कर उन्हें बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें.