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लोकगीत व काव्यरस में शहरवासियों ने लगाया गोता

मुजफ्फरपुर : बिहार दिवस पर बुधवार को जिला प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रमों का देर रात रंगारंग समापन हुआ. शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें शहरवासी घंटों गोता लगाते रहे. पारंपरिक लोकगीतों के साथ ही चैती व छठ गीत ने भी कार्यक्रम में चार चांद लगा […]

मुजफ्फरपुर : बिहार दिवस पर बुधवार को जिला प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रमों का देर रात रंगारंग समापन हुआ. शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें शहरवासी घंटों गोता लगाते रहे. पारंपरिक लोकगीतों के साथ ही चैती व छठ गीत ने भी कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया, जबकि नामचीन कवियों ने गुदगुदाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कार्यक्रम में डीएम धर्मेंद्र सिंह व एसएसपी विवेक कुमार सहित जनपद स्तरीय सभी अधिकारी पूरे समय कार्यक्रम स्थल पर ही डटे रहे.

मिले सास खूंखार ले हास्यकवि अवतार. हास्यकवि सम्मेलन में एक से बढ़कर एक रचनाओं पर देर रात तक ठहाका गूंजता रहा. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आयी संज्ञा तिवारी ने कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की. इसके बाद काव्य रस बहने लगी, तो हर तरफ तालियां व ठहाकों की गूंज ही थी. गाजीपुर के ही फजीहत गहमरी ने ‘पत्नी हो रणचंडिका चोट्टा ससुरा-सार, मिले सास खूंखार तो ले हास्यकवि अवतार’ सुनाकर खूब गुदगुदाया. सीवान के सुनील कुमार तंग ने ‘आदमी पर फेंकता है आज पत्थर आदमी, सच कहा है
डार्विन ने कल था पत्थर आदमी’ से मौजूदा दौर पर कटाक्ष किया, संज्ञा तिवारी ने ‘मोहब्बत के अगर दो बातें कोई बोल देता है, तो लगता है कि कानों में रस घोल देता है’ सुनाया. डॉ कलीम कैसर बलरामपुरी ने ‘इश्क ऐसी जुबान है प्यारे, जिसको गूंगा भी बोल सकता है’ सुनाकर सबको गुदगुदाने की कोशिश की. वाराणसी से आये भूषण त्यागी ने भी अपनी रचनाओं से लोगों को खूब हंसाया. एलएस कॉलेज भोजपुरी विभाग के अध्यक्ष डॉ जयकांत सिंह जय व इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ गजेंद्र वर्मा ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की.
लोकसंगीत के मिठास ने मन मोहा. सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकसंगीत के मिठास ने मन मोह लिया. डॉ नीतू नवगीत ने शुरूआत विद्यापति के भक्तिगीत जय-जय भैरवी से की. इसके बाद गांधीजी के जीवन पर आधारित- दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल व भोजपुरी लोकगीत बेदरदी दरदियो न जाने सुनाया. वहीं स्थानीय लोक कलाकार रंजीत कुमार ने भी मनमोहक प्रस्तुति दी. बांसुरी पर चैती का धुन सुनाकर मुग्ध कर दिया. इसके बाद ‘जेकर पियवा बसेले परदेस ए सखी, ओकर ससुरा से नीक नइहरवे बा’ सुनाकर दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया.
नृत्य की शानदार प्रस्तुति
साधना कला केंद्र के कलाकारों ने छठ पूजा पर नृत्य नाटिका की शानदार प्रस्तुति दी. मंच पर ही छठ की बेदी बनाकर संगीतमय माहौल में पूजन-अर्चन का नजारा दिखाया. इस दौरान छठ के पारंपरिक गीत ‘करबइ हम छठ के बरतिया, चइत के महिनवा’, ‘केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सूगा मेड़राइ’, ‘सांझि बेला छठि रहलू कहवां’, व ‘दर्शन दीह धीरे धीरे ए छठी मइया’ ने माहौल में भक्ति के साथ ही परंपरा व संस्कृति का रंग भर दिया.

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