अधिकतर बसों में सीट की क्षमता से अधिक बच्चे रहते हैं. अधिकांश स्कूली बच्चों को ले जा रहे वाहनों में सुरक्षा उपकरण, फर्स्ट एड की सुविधा, खिड़कियों पर बाहर सेेफ्टी रॉड नहीं होते हैं. कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति होती है. अगर सही से स्कूली बच्चों को ले जा रहे वाहनों की जांच हो जाये तो इसमें महज 25 से 30 प्रतिशत वाहन की नियम पर पूरी तरह से फिट बैठेंगे. वहीं कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि स्कूली बसों का उपयोग स्कूली बच्चों के अलावा अन्य काम में भी किया जाता है. जो कि नियम के खिलाफ है. इधर, आरटीए के रिकॉर्ड के अनुसार जिले में 12 स्कूल के 81 वाहन चल रहे हैं जिसे परमिट दिया गया है. इसकी जांच की गयी तो पता चला कि इसमें 77 वाहन पीले रंग के हैं.
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पीली की जगह सफेद रंग की चल रहीं स्कूली बसें
मुजफ्फरपुर:परिवहन नियम का उल्लंघन कर जिले में धड़ल्ले से स्कूली बसों का परिचालन हो रहा है. इसको लेकर परिवहन विभाग की ओर से कई बार स्कूल संचालकों को नोटिस निर्गत किया गया. लेकिन अब तक शत प्रतिशत इसका पालन नहीं हो सका है. नोटिस के बाद कुछ स्कूल संचालकों ने इसका पालन किया, लेकिन अभी […]
मुजफ्फरपुर:परिवहन नियम का उल्लंघन कर जिले में धड़ल्ले से स्कूली बसों का परिचालन हो रहा है. इसको लेकर परिवहन विभाग की ओर से कई बार स्कूल संचालकों को नोटिस निर्गत किया गया. लेकिन अब तक शत प्रतिशत इसका पालन नहीं हो सका है.
नोटिस के बाद कुछ स्कूल संचालकों ने इसका पालन किया, लेकिन अभी भी दर्जनों ऐसे वाहन स्कूल में चल रहे है जिनका रंग पीला नहीं है. कुछ बसों को छोड़ देते ज्यादातर छोटे वाहनों का रंग पीला नहीं है, जबकि परिवहन नियम के अनुसार में स्कूली बच्चों को ले जानेवाले वाहनों का रंग पीला होना अनिवार्य है. इसके अलावा और भी कई नियमों का पालन करना है. लेकिन स्कूल संचालकों द्वारा इन नियमों की अनदेखी की जा रही है. जो बच्चों के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है और आरटीए के निर्देश का उल्लंघन है.
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