मुजफ्फरपुर : नक्सली संगठन के स्पेशल एरिया कमेटी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तर बिहार (3 यू) का कामकाज राम प्रवेश बैठा उर्फ सतीश जी संभाल रहा था. उसकी गिरफ्तारी से नक्सलियों के संगठन को बड़ा झटका लगा है. हाल के दिनों में उसने मोतीपुर व मोतिहारी के सीमावर्ती इलाकों को कार्यक्षेत्र बना रखा था.
तत्कालीन एसएसपी राजेश कुमार के कार्यकाल में एक साल पूर्व भी विशेष पुलिस टीम ने उसकी तलाश में मोतीपुर के रसगुल्लागंज में छापेमारी की थी. हालांकि, भनक लगने पर वह फरार हो गया था.
कौड़िया का है रहनेवाला. बताया जाता है, रसगुल्लागंज इलाका नक्सलियों के लिए सेफ जोन है. वहां जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है.
यह इलाका पूर्वी चंपारण के राजेपुर से भी सटा है. इधर, रविवार की शाम मोतीपुर पुलिस ने पूर्वी चंपारण जिले के मधुबन थाना के कौड़िया निवासी रामप्रवेश बैठा उर्फ सतीश जी उर्फ राकेश, औरंगाबाद का प्रवेश मिश्र व उसका रिश्तेदार सकरा थाना के मुरौल निवासी राजीव रंजन को मेडिकल चेकअप के बाद जेल भेज दिया है.
डीएपी को जांच का जिम्मा
मोतीपुर थानेदार अभिषेक रंजन के बयान पर इन सभी के खिलाफ यूएपी अनलॉफुल एक्टिविटी ऑफ प्रिवेंशन एक्ट) व 17 सीएल एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. मामले में राम प्रवेश के साला विकास रजक को भी आरोपित बनाया गया है. डीएसपी पश्चिमी अजय कुमार मामले का अनुसंधान करेंगे. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के दिन सभी मोतीपुर के कोदरकट्टा में संगठन विस्तार को लेकर बैठक कर रहे थे. वही विकास पर लेवी वसूलने व पोस्टर चिपकाने का आरोप लगाया है.
दो दर्जन मामलों में थी तलाश
पुलिस का कहना है, कुछ माह पूर्व पारू में पूर्व मुखिया सुरेश सिंह के घर को उड़ाने में राम प्रवेश शामिल था. वहीं, सात फरवरी को सकरा थाना क्षेत्र के रूपनपट्टी में कंस्ट्रक्शन कंपनी के 11 वाहनों को लेवी नहीं देने पर इसी के इशारे पर जलाया गया था. इसके अलावा दो दर्जन से अधिक मामलों में पुलिस को उसकी तलाश थी. उधर, हिरासत में लिए गये सरोज, मनोज व रामजी साह के बारे में पुलिस सत्यापन कर रही है. बता दें कि इन सभी को गुरुवार को कोदरकट्टा में छापेमारी कर दबोचा गया था.
भूगोल में स्नातक है राम प्रवेश
रामप्रवेश बैठा ने 1990 में शिवहर जिले के डुमरी कटसरी प्रखंड अंतर्गत लालगढ़ हाइस्कूल से मैट्रिक पास किया था. उसने भूगोल विषय में स्नातक किया. कहा जाता है कि छात्र जीवन में रामप्रवेश शांत स्वभाव का था. तब उसमें ऐसा कोई लक्षण नहीं था, जिससे उसके साथी शंका करते कि बाद में वह पुलिस के लिए सिर दर्द बन जायेगा.
लोगों का कहना है, कुछ लोगों के चलते वह माओवाद के रास्ते पर चल पड़ा. छात्र जीवन में शिवहर के कई युवक उसके साथ थे. भले ही पूर्वी चंपारण जिले में उसका गांव पड़ता था, पर उसका शिवहर से जुड़ाव रहता था. यही कारण था कि शिवहर की भौगोलिक स्थिति से वह परिचित है. नक्सली गतिविधि में शामिल होते ही उसने शिवहर में पार्टी को काफी मजबूत किया. शिवहर क्षेत्र को सेफ मान कर वह संगठन को संचालित करता था.