मुजफ्फरपुर: कंपकंपाती ठंड ने इस वर्ष शिशुओं का जीना मुहाल कर दिया है. ठंड जनित बीमारियों में ब्रोंकोलाइटिस बच्चों पर कहर बन कर टूट पड़ा है. शहर के केजरीवाल मातृसदन, डॉ अरुण साह, डॉ सीवी कुमार व डॉ रामगोपाल जैन के नर्सिग होम में करीब डेढ़ सौ बच्चे भरती हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है.
इस बीमारी से डॉक्टर खुद हैरान हैं. वरीय चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित होने वाले बच्चों की इतनी अधिक संख्या पहले कभी नहीं देखी. आलम यह है कि शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों के यहां आने वाले बच्चों में 70 फीसदी बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर आ रहे हैं, जिसका त्वरित इलाज निमुलाइजेशन से किया जा रहा है. निमोनिया से भी पीड़ित 50 से अधिक बच्चों को इलाज के लिए शिशु रोग विशेषज्ञों के पास लाया जा रहा है.
ब्रोंकोलाइटिस व निमोनिया के लक्षण एक जैसे : दोनों बीमारियों के लक्षण एक जैसे होने से शुरुआती स्तर पर पता नहीं चलता कि बच्चे को कौन सी बीमारी है. शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि दो साल से कम उम्र के बच्चे हो तो ब्रोंकोलाइटिस की समस्या अधिक होती है. लेकिन उससे अधिक उम्र के बच्चे को निमोनिया होने की आशंका अधिक होती है. बैक्टीरियल निमोनिया होने से बच्चों में फीवर हाइ होता है. इसमें ब्रोंकोलाइटिस की दवा फायदेमंद नहीं होता. डॉक्टर विवेक के आधार पर बच्चों का इलाज करते हैं.
वायरस से होता है ब्रोंकोलाइटिस : ब्रोंकोलाइटिस बीमारी वायरस जनित है. यह बड़ों से बच्चों में फैलता है. वैसे लोग जो सर्दी खांसी से पीड़ित होते हैं, वे यदि बच्चों को गोद में लेते हैं या फिर नाक मुंह छूने के बाद बच्चे को छूते हैं तो बच्चों के अंदर ब्रोंकोलाइटिस का रिसपरेटरी वायरस प्रवेश करता है.
क्या है लक्षण
दम फूलना, बुखार होना, सीने में कफ जमना, सांस लेने में परेशानी होना.