मुजफ्फरपुर : नवरुणा कांड में नार्को व ब्रेन मैपिंग टेस्ट में सहयोग के लिए चयनित रमेश कुमार बबलू ने तीसरी बार अपनी शर्त बदली है. रमेश ने अब न्यायालय के आदेश के बाद ही टेस्ट के लिए सीबीआइ के साथ गांधीनगर जाने की शर्त रख दी है. इसके पहले दो जून को वह मेडिकल जांच और पांच जून को टेस्ट में किसी तरह की अप्रिय घटना होने पर इसकी पूरी जिम्मेवारी सीबीआइ पर होने की शर्त रखी थी. वहीं इस टेस्ट के लिए चयनित ब्रजेश कुमार शहर से बाहर होने का बहाना बना अभी तक न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सके हैं.
नवरुणा कांड में प्रगति के लिए सीबीआइ ने चार लोगों रमेश कुमार बबलू, सुदीप चक्रवर्ती, राकेश कुमार सिन्हा पप्पू व ब्रजेश कुमार को चयनित कर इनकी ब्रेन मैपिंग व नार्कों कराने की सहमति मांगी थी. चारों की सहमति मिलने के बाद सीबीआइ इन्हें नोटिस कर दो जून को न्यायालय में उपस्थित होने काे कहा था.
नोटिस मिलने के बाद दो जून को रमेश कुमार बब्लू, राकेश सिन्हा पप्पू व सुदीप चक्रवर्ती न्यायालय में उपस्थित हुए थे. सुदीप चक्रवर्ती ने उक्त तिथि को ही जांच में सहयोग देने के लिए अपनी सहमति न्यायालय के समक्ष दे दी. लेकिन रमेश कुमार बब्लू और रमेश सिन्हा पप्पू ने मेडिकल जांच के बाद ही जांच के लिए सीबीआइ से साथ भेजने का गुहार न्यायालय से लगायी थी. न्यायालय ने इन दोनों के आवेदन का जवाब सीबीआइ से मांगी थी. इसके लिए 10 जून की तिथि मुकर्रर की थी. सीबीआइ दस जून को न्यायालय में उपस्थित होकर मेडिकल जांच करा टेस्ट के लिए ले जाने संबंधी आवेदन दे दिया. इसके बाद राकेश सिन्हा पप्पू ने अपनी सहमति जता दी थी. लेकिन रमेश ने फिर अपनी शर्त रख सीबीआइ की मुश्किल बढ़ा दी थी. वहीं ब्रजेश कुमार शहर से बाहर होने का बहाना बना उपस्थित नहीं हुए थे.
नवरुणा की मां ने जताया शक
नवरुणा की मां मैत्री चक्रवर्ती ने रमेश कुमार बबलू के बदलते शर्त और ब्रजेश के जांच के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हाेने पर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी है. उन्होंने कहा कि रमेश कुमार बब्लू नवरुणा अपहरण कांड का अभियुक्त है. पुलिस उसे इस मामले में जेल भी भेज चुकी है. जमानत पर जेल से छूटे रमेश कुमार बबलू का सीबीआई पॉलीग्राफी टेस्ट भी करा चुकी है. अब जब इस कांड के प्रगति के लिए सीबीआई चार लोगों के नार्कों व ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराना चाह रही है तो रमेश बार-बार अपनी शर्त बदल कर टेस्ट से भाग रहा है. वहीं सुदीप चक्रवर्ती और राकेश सिन्हा पप्पू ने अपनी सहमति जता दी है. उन्होंने ब्रजेश काे रमेश का सहयोगी बताया और कहा कि ब्रजेश कुमार सिंह भी टेस्ट में सहयोग नहीं करना चाह रहा है. इसलिए ही वह शहर से बाहर होने का बहाना बनाकर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहा है. इन दोनों के टेस्ट से भागने की घटना इन्हें शक के घेरे में डाल रही है. अगर ये निर्दोष होते तो टेस्ट के लिए अपनी सहमति जरूर जताते. सीबीआई भी इनके पीछे ही दौड़ रही है.
शर्तों से बढ़ीं सीबीआइ की मुश्किलें
नार्को व ब्रेन मैपिंग के लिए चयनित रमेश कुमार बबलू में सहयोग देने के बजाय बार-बार शर्त बदल सीबीआइ की मुश्किलें बढ़ा रहा है. पहली बार दो जून को उसने न्यायालय के समक्ष मेडिकल टेस्ट के बाद जांच के लिए जाने की शर्त रखी. न्यायालय के आदेश के बाद दस जून को सीबीआइ जब मेडिकल टेस्ट के बाद जांच के लिए ले जाने संबंधी आवेदन न्यायालय काे दिया तो रमेश ने फिर अपनी शर्त बदल दी. दस जून को उसकी ओर से वरीय अधिवक्ता सैयद कासिम हुसैन व अधिवक्ता दिलीप कुमार ने सीबीआई के विशेष न्यायालय को शर्तों से संबंधित एक आवेदन दिया.
आवेदन में अधिवक्ताओं ने न्यायालय से कहा कि उसके मुवक्किल रमेश कुमार बबलू टेस्ट के लिए तैयार है. लेकिन शर्त यह है कि उनके साथ जांच के दौरान अगर कोई दुर्घटना होती है, तो उसकी जवाबदेही जांच एजेंसी सीबीआइ पर होगी. अधिवक्ताओं ने न्यायालय से कहा कि इस जांच के दौरान जो दवा दी जाती है उसके प्रभाव से मस्तिस्क का सेल टूटना, लकवाग्रस्त होने से लेकर मृत्यु तक की संभावना बनी रहती है. इन परिस्तिथियों में सीबीआइ द्वारा जांच के बाद मुवक्किल को सही सलामत यहां तक पहुंचाने की जिम्मेवारी लेनी होगी.
अधिवक्ताओं के इन शर्तों का जवाब विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने सीबीआई से 17 जून तक मांगा. साथ ही जांच के दौरान हाेनेवाली इन परेशानियों का सत्यापन किसी एक्सपर्ट से भी कराकर देने का निर्देश दिया. लेकिन शुक्रवार 17 जून को रमेश कुमार के वरीय अधिवक्ता रामानंद सिंह व अधिवक्ता दिलीप कुमार सिंह ने न्यायालय को फिर एक सशर्त आवेदन देकर सबकों चौंका दिया. उन्होंने अपने आवेदन में न्यायालय के आदेश के बाद ही मुवक्किल रमेश कुमार बबलू को के जांच के सीबीआइ के साथ भेजने की शर्त रख दी.