पेड़-पौधों की जड़ों में पानी की कमी हो गई है. डॉ सत्तार बताते हैं कि खेतों में सिंचाई करें, फलदार पेड़ व पौधों की जड़ों को ढक कर रखें तो नमी की मात्रा सही रहेगी.
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साल दर साल काफी तेजी से बढ़ती गयी गरमी
मुजफ्फरपुर : जैसे-जैसे दिनों दिन पेड़-पौधे धरती से साफ रहे हैं, वैसे-वैसे तापमान भी बढ़ रहा है. पिछले तापमान के रिकॉर्ड पर गौर करें तो काफी कुछ बदल गया है. दिन का तापमान पांच डिग्री से अधिक बढ़ा है. मौसम में इतना अधिकबदलाव किसी भी स्थिति में सही नहीं है. यह इनसानों से लेकर पशुओं […]
मुजफ्फरपुर : जैसे-जैसे दिनों दिन पेड़-पौधे धरती से साफ रहे हैं, वैसे-वैसे तापमान भी बढ़ रहा है. पिछले तापमान के रिकॉर्ड पर गौर करें तो काफी कुछ बदल गया है. दिन का तापमान पांच डिग्री से अधिक बढ़ा है. मौसम में इतना अधिकबदलाव किसी भी स्थिति में सही नहीं है. यह इनसानों से लेकर पशुओं व पेड़ – पौधे सबके लिए घातक साबित होगा. राजेंद्र कृषि विवि पूसा के कृषि मौसम परामर्शी सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ ए सत्तार बताते हैं कि और सालों की अपेक्षा इस वर्ष तापमान में काफी बदलाव दिख रहा है. इस वर्ष पछिया हवा काफी पहले से चल रही है. एंटी साइक्लोन के कारण मौसम में हीट लो विकसित हो रहा है. उच्च दबाव का क्षेत्र भारत के कई हिस्सों में बन रहा है. इस कारण सभी को परेशानी हो रही है.
लगातार चल रही पछिया हवा से मौसम शुष्क हो रहा है. हवा में नमी की मात्रा काफी कम गई है. मौसम विभाग का कहना है कि पेड़-पौधों में वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया में काफी तेजी आ गई है. इससे फसलों में अचानक पानी का मांग बढ़ गया है. खास प्रभाव मूंग और सब्जी की फसलों पर हुआ है.
जहां बालू वाली मिट्टी है वहां जल स्तर काफी तेजी से भाग रहा है. इसका असर व्यापक रूप से पड़ रहा है. जगह-जगह बांस की फसल बरबाद हो रही है. मिट्टी में एक मीटर नीचे तक नमी में करीब 50 फीसदी कमी आ गई है. मिट्टी से पानी की मात्रा काफी तेजी से घट रही है. यह छोटे पेड़ पौधे क्या, बड़े वृक्षों के लिए भी पानी का कम जाना अच्छा नहीं है.
दुधारू पशुओं के लिए लू के थपेड़े व पछिया हवा किसी भी हाल में सही नहीं है. दुधारू पशुओं के दूध में तेजी से कमी आयी है. ऐसे में पशुपालकों को भी खर्च काफी बढ़ गया है. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ जगन्नाथ बैठा बताते हैं कि पशुपालकों को हरे चारे की व्यवस्था करनी चाहिए. ताजा पानी गाय व भैंस को दें. खनिज व लवण भी देते रहे. ताकि उनके स्वास्थ्य पर गरमी का असर नहीं पड़े.
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