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48 घंटे में नहीं हो रही इंसोफ्लोपैथी की पहचान

मुजफ्फरपुर: जिले के डॉक्टरों में अब भी इंसोफ्लोपैथी को लेकर मतभेद बना हुआ है. डॉक्टर अभी तक इस बीमारी पर एकमत नहीं हैं. नतीजा संभावित लक्षणों वाले जो मरीज भरती किये जा रहे हैं, उनकी बीमारी की पहचान नहीं की जा रही है. बीएसटी पर बुखार व चमकी लिख कर छोड़ दिया जा रहा है. […]

मुजफ्फरपुर: जिले के डॉक्टरों में अब भी इंसोफ्लोपैथी को लेकर मतभेद बना हुआ है. डॉक्टर अभी तक इस बीमारी पर एकमत नहीं हैं. नतीजा संभावित लक्षणों वाले जो मरीज भरती किये जा रहे हैं, उनकी बीमारी की पहचान नहीं की जा रही है.

बीएसटी पर बुखार व चमकी लिख कर छोड़ दिया जा रहा है. सरकार की ओर से संभावित मरीजों की सभी जांच कर 48 घंटे के अंदर बीमारी की पहचान के निर्देश के बावजूद विभाग पीड़ित बच्चों में बीमारी की पुष्टि नहीं कर रहा है. एसकेएमसीएच के पीयूसीआई में भरती अचला कुमारी पिछले तीन दिनों से बीमारी से जूझ रही है. लेकिन अभी तक डॉक्टर ने उसके पुरजे पर बीमारी कंफर्म नहीं की है.

यहां इलाजरत खुशी परवीन को टीबीएम का मरीज बताया गया है, जबकि वह भी तेज बुखार व चमकी से जूझ रही है. सीतामढ़ी के चंदन कुमार को चिकेन पॉक्स का मरीज बताया गया है. डॉक्टर कहते हैं कि जब तक पूरी रिपोर्ट नहीं आयेगी, तब तक वह पुरजे पर इंसोफ्लोपैथी नहीं लिखेंगे.

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