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पिटाई की शिकायत की तो छात्र के आचरण पर उठा दिया सवाल

मुजफ्फरपुर: अनुसूचित जाति से जुड़े एक छात्र ने जब अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत थाने में की, तो स्कूल प्रबंधन ने उसका साथ देने के बजाय उससे पल्ला झाड़ लिया. अब स्कूल ने उसे ये कह कर बाहर जाने को कहा है कि उसका आचरण ठीक नहीं है. अब मामला एक बार फिर थाने […]

मुजफ्फरपुर: अनुसूचित जाति से जुड़े एक छात्र ने जब अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत थाने में की, तो स्कूल प्रबंधन ने उसका साथ देने के बजाय उससे पल्ला झाड़ लिया. अब स्कूल ने उसे ये कह कर बाहर जाने को कहा है कि उसका आचरण ठीक नहीं है. अब मामला एक बार फिर थाने पहुंच गया है. छात्र के परिजनों ने फिर से न्याय की गुहार लगायी है और कहा है कि वो अपने बेटे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए शहर छोड़ कर कहीं और चले जायेंगे. इनका कहना है कि उनके साथ ये सब एक मुखिया के इशारे पर हो रहा है, जिसके बेटे ने उनके बेटे को अपने साथियों के साथ मिल कर पीटा था. पुलिस मामले की जांच की बात कह रही है. मामला ब्रह्मपुरा इलाके से जुड़ा है.
यहां के एक निजी स्कूल में अनुसूचित जाति परिवार से जुड़े तीन बच्चे पढ़ते हैं. इनमें बड़ा बेटा नौवीं, दूसरा सातवीं और तीसरा पांचवीं का छात्र है. कुछ दिन पहले ये मामला उस समय सामने आया, जब अनुसूचित जाति से संबंधित परिवार ने थाने में एक लिखित आवेदन दिया, जिसमें ये शिकायत की गयी थी कि उसके बड़े बेटे के साथ पढ़नेवाले मुखिया के बेटे ने ज्यादती की है. उसने साथियों के साथ मिल कर अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखनेवाले छात्र को पीटा है, तब ये मामला सुर्खियों में था. पुलिस ने मामले की जांच की और मामला दर्ज किया. पिटाई की घटना बीते आठ मार्च को हुई थी.
अभी इस मामले को माह भर भी पूरे नहीं हुये हैं कि अनुसूचित जाति से संबंधित परिवार ने थाने में एक और आवेदन दिया है. इस बार जो आरोप परिवार ने लगाये हैं ये और संगीन हैं. परिवार का कहना है कि उनके बड़े बेटे को स्कूल प्रबंधन की ओर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. स्कूल के निदेशक का कहना है कि आपके बेटे का आचरण ठीक नहीं है. इस वजह से वह स्कूल में नहीं पढ़ सकता है. परिवार का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ऐसा मुखिया के दबाव में कर रहा है, क्यों उन लोगों ने उसके बेटे की शिकायत की थी.
परिवार का आरोप है कि शिकायत से मुखिया इतना खफा हैं और वो उनके बेटे का भविष्य बरबाद कर देना चाहते हैं. हम इस मामले में न्याय चाहते हैं. परिवार का कहना है कि स्कूल के निदेशक कह रहे हैं कि स्कूल से निकालने का आधार बच्चे के आचरण है और इसके बारे में वो उसके सार्टिफिकेट में भी लिख देंगे. अनुसूचित जाति के परिवार ने थाने को दिये आवेदन में कहा है कि उन्हें न्याय चाहिये. वो अपने बेटे को आगे पढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए वो शहर छोड़ने को भी तैयार हैं.
शहर से पलायन करने की तैयारी
अनुसूचित जाति से संबंधित परिवार का कहना है कि वो न्याय चाहते हैं, क्योंकि उनके बेटे का भविष्य दावं पर लग गया है. ऐसे में अगर बेटे के भविष्य के लिए उन्हें शहर छोड़ कर जाना पड़ा, तो वो उसके लिए भी तैयार हैं. परिवार का कहना है कि ये सब दबाव में किया जा रहा है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिये. वो मुखिया के बेटे पर धमकी देने का आरोप भी लगा रहे हैं. इनका कहना है कि धमकी की वजह से उनके बच्चों का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है.
जातिसूचक शब्दों से शुरू हुआ मामला
पीड़ित परिवार का आरोप है कि मुखिया का बेटा स्कूल में उनके बेटे को जातिसूचक शब्द कहकर पुकारता था. वो अन्य बच्चों के सामने लगातार उसे ऐसा बोलता था, जिसका उनके बेटे ने विरोध किया, तो मुखिया के बेटे ने अपने साथियों के साथ मिल कर उसकी पिटाई कर दी.

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