उद्यान विभाग के पास आम-लीची के तीन वर्षीय पौधों का अकाल कम उम्र के पौधे में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है कम छोटे पौधों में गमोसिस होने का अधिक होता है खतरा वैज्ञानिक के अनुसार, तीन वर्ष का पौधा लगाना बेहतर वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरउद्यान विभाग के पास आम-लीची के पौधों की घोर कमी है. जो भी पौधे हैं वह छोटे हैं. किसानों का कहना है कि आम-लीची के तीन वर्षीय पौधों का अकाल हो गया है. उद्यान विभाग किसानों को तीन वर्षीय पौधा उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है. जबकि इससे कम आयु के पौधों की स्थिति अच्छी नहीं होती है. रोग से लड़ने की क्षमता कम होती है. किसानों को कम आयु का पौधा लगाना काफी जोखिम भरा होता है. इसलिए कम से कम तीन वर्ष का पौधा लगाना जरूरी है. किसानों का कहना है कि तीन वर्ष से कम आयु के पौधे छोटे होते हैं. इसे पशुओं से नुकसान का डर होता है. पानी लगने पर जल्द बरबाद हो जाते हैं. इन पौधों में बीमारियों का खतरा अधिक होता है. किसानों का कहना है कि उद्यान विभाग को अपना पौधा तैयार करना था. इसके पास सभी संसाधन मौजूद हैं. फिर भी सही पौधे यहां नहीं मिलते हैं. किसानों को छोटे-छोटे पौधे दिये जाते हैं. किसानों को 32 रुपये पौधा उपलब्ध कराना है. सहायक निदेशक उद्यान विभाग राधे श्याम का कहना है कि मीनापुर व बोचहां में अपनी नर्सरी है. इसमें 30 हजार आम व एक लाख लीची के पौधे हैं. हर वर्ष पौधे तैयार कर किसानों के बीच बांटे जाते हैं. एक साल का पौधा दिया जाता है. इधर, केवीके सरैया के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ हेमचंद्र चौधरी बताते हैं कि तीन वर्ष से कम आयु के पौधे किसी भी हाल में किसानों को नहीं लगाना चाहिए. इन पौधों में गमोसिस नाम की बीमारी अधिक होती है. आम-लीची दोनों में समस्या है. तीन वर्ष से कम आयु के पौधे में रोग का खतरा रहता है. परिपक्व पौधे को सूखने का खतरा कम होता है.
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उद्यान विभाग के पास आम-लीची के तीन वर्षीय पौधों का अकाल
उद्यान विभाग के पास आम-लीची के तीन वर्षीय पौधों का अकाल कम उम्र के पौधे में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है कम छोटे पौधों में गमोसिस होने का अधिक होता है खतरा वैज्ञानिक के अनुसार, तीन वर्ष का पौधा लगाना बेहतर वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरउद्यान विभाग के पास आम-लीची के पौधों की घोर कमी […]
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