21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शिक्षा से बदल सकते हैं समाज व इतिहास

मुजफ्फरपुर/पारू : शिक्षा सबसे बड़ी तपस्या है. शिक्षा में तपने वाला व्यक्ति ही नया समाज का निर्माण कर सकता है. उनमें इतिहास बदलने की शक्ति होती है. शिक्षा की बदौलत गरीब व पिछड़े घर में जन्मे लोग दुनिया में शक्तिशाली बन जाते हैं. शिक्षा की बदौलत ही महात्मा गांधी, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, अब्राहम लिंकन, […]

मुजफ्फरपुर/पारू : शिक्षा सबसे बड़ी तपस्या है. शिक्षा में तपने वाला व्यक्ति ही नया समाज का निर्माण कर सकता है. उनमें इतिहास बदलने की शक्ति होती है. शिक्षा की बदौलत गरीब व पिछड़े घर में जन्मे लोग दुनिया में शक्तिशाली बन जाते हैं. शिक्षा की बदौलत ही महात्मा गांधी, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, अब्राहम लिंकन, सीवी रमण, रवींद्र नाथ टैगोर, महामना मदन मोहन मालवीय दुनिया में जाने जाते हैं. जिन्होंने इतिहास को बदला, नैतिक मूल्यों को स्थापित किया.
ये बातें राज्यसभा सांसद सह वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने शनिवार को पारू प्रखंड के नीतीश्वर सिंह डिग्री कॉलेज, सरमस्तपुर के वार्षिक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं. कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में उच्चतर शिक्षा की स्थिति विषय पर केंद्रित था.
उन्होंने कहा, 40 से 50 वर्ष पूर्व बड़े घरों में पैदा होना गर्व की बात थी. लेकिन आज ज्ञान व शिक्षा का युग है. गरीब घरों में पैदा होने वाला आदमी भी दुनिया में सबसे कामयाब बन सकता है. नारायणमूर्ति और अजीम प्रेमजी बड़े उदाहरण हैं. ज्ञान की बदौलत, मेहनत की बदौलत आगे बढ़े. केवल भौतिक संपदा से समाज आगे नहीं बढ़
सकता है. मूल्यों व चरित्र का निर्माण भी जरूरी है.
उन्होंने कहा, गुजरे 60 वर्षों में मुल्क में बहुत कुछ बदल गया है. बचपन जिस तंगी और गरीबी से गुजरा, आज वह नहीं है. पहले शिक्षण संस्थान कम थे. आज संख्या बढ़ी है. लेकिन, आजादी के बाद देश के शिक्षण संस्थानों ने कितने सीवी रमण, जगदीश चंद्र बसु, कितने एपीजे अब्दुल कलाम, रवींद्र नाथ टैगोर, रामधारी सिंह
दिनकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामवृक्ष बेनीपुरी, मदन मोहन मालवीय जैसे महान व्यक्तित्व पैदा किये? शिक्षण संस्थानों में ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण क्यों नहीं हो रहा है?
उन्होंने कहा, हम एक-एक काम के लिए सरकार पर निर्भर हैं. ऐसा समाज बेहतर भविष्य की योजना नहीं बना सकता है. गांव व देश में कॉलेजों में शिक्षा की हालत अच्छी नहीं है. शिक्षण संस्थानों में लैब व भौतिक संरचनाएं नहीं हैं. उच्चतर शिक्षा में पीएचडी की हालत यह है कि 10 पीएचडी की बदौलत 11वां पीएचडी खुद तैयार हो जा रहा है. कुल मिलाकर परिवार व समाज में मूल्यों का संकट पैदा हो रहा है.
उन्होंने कहा, रामेश्वरम में अखबार बेचते हुए डॉ कलाम ने पढ़ाई की. तपस्या व मेहनत की बदौलत मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नामांकन हुआ. लेकिन, यहां पर जैसा डिजाइन बनाने का टास्क दिया गया, वैसा डिजाइन नहीं बन सका. प्रोफेसर केवल बोले, कलाम ऐसी उम्मीद तुमसे नहीं थी. तीन दिन का समय मिला. दृढ़ संकल्प के साथ नया डिजाइन बनाने में जुट गये. सोमवार को डिजाइन देना था. उससे पहले ही शनिवार को डिजाइन तैयार कर दिया. प्रोफेसर उनके कमरे में आये और बोले, कलाम यही उम्मीद थी. वह संकल्प ही था कि वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति तक की यात्रा तय की.
अध्यक्षता कॉलेज के सचिव सामंत कुमार ने की. मंच संचालन डॉ संजय पंकज ने किया. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अवधेश्वर अरुण, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ राम प्रवेश सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार, कुल सचिव डॉ रत्नेश्वर मिश्रा, आएलएसवाइ कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजेंद्र राय ने विचार रखे.
कॉलेज के सचिव सामंत कुमार, प्राचार्य डॉ चंद्रकांत सिंह व डॉ वसंत कुमार ने मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद हरिवंश, कॉलेज के जन्मदाता डॉ एचके राय, डॉ मीरा सिंह, प्रो शिया शरण प्रसाद सिंह, डॉ अवधेश्वर अरुण, डॉ राम प्रवेश सिंह, डॉ बै‍द्यनाथ सिंह, डॉ जय कांत सिंह जय, आरडीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ राम चंद्र सिंह, डॉ गणेश राय, पूर्व विधायक डॉ इंदल सिंह नवीन, पूर्व विधायक राज कुमार सिंह राजू का स्वागत किया. स्वागत गान प्रियंका भारद्वाज और वैशाली गीत संगीत शिक्षिका ऋचा चौबे ने पेश की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें