छह माह में नियोजित शिक्षकों की सूची भी नहीं बनीनिगरानी जांच: -पंचायत शिक्षकों का आंकड़ा देने में विभाग की मुश्किलें बढ़ीं-लगातार हिदायत के बाद भी नियोजन इकाइयां लापरवाह संवाददाता, मुजफ्फरपुर सरकार, हाइकोर्ट व शिक्षा विभाग की सख्ती के बाद भी छह महीने में विभाग यह आंकड़ा नहीं जुटा सका है कि पंचायत स्तर पर जिले में कितने शिक्षकों का नियोजन किया गया है. शिक्षक नियोजन की जांच कर रही निगरानी ब्यूरो को विभाग ने अब नियोजित शिक्षकों की सूची भी उपलब्ध नहीं करायी हैं. लगातार हिदायत के बाद भी पंचायत नियोजन इकाइयां टाल-मटोल कर रही हैं, जिससे नियोजन में गड़बड़ी की आशंकाओं को भी बल मिल रहा है. राज्य में शिक्षकों के नियोजन में खूब फर्जीवाड़ा हुआ है. इसी साल टीइटी रिजल्ट से नियोजित शिक्षकों की सूची का मिलान करने पर यह खुलासा हुआ तो मामला हाइकोर्ट में पहुंचा. कोर्ट ने वर्ष 2006 से 2014 तक हुए नियोजन की जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से कराने का निर्देश दिया. जिले में भी निगरानी टीम ने जून से ही पड़ताल शुरू कर दी. माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक के साथ ही पंचायत शिक्षकों की अलग-अलग कैटेगरी बनाकर छानबीन हो रही है. निगरानी टीम प्लस टू के बाद के सर्टीफिकेट की जांच कर रही है. अभी तक माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक के नियोजित शिक्षकों की सूची के साथ अधिकतर फोल्डर भी दिए जा चुके हैं, जबकि पंचायत शिक्षकों का रिकार्ड जुटाने में खुद विभाग भी परेशान है. बताते हैं कि पिछले छह महीने में कई बार विभाग ने पंचायत नियोजन इकाइयों से संबंधित शिक्षकों की सूची व फोल्डर मंगाने का प्रयास किया, लेकिन अभी तक सभी शिक्षकों का आंकड़ा भी नहीं बन पाया है. जानकारों की मानें तो पंचायत स्तर पर काफी गड़बड़ी हुई है. ऐसे में जांच से बचने के लिए ही नियोजन इकाइयां फोल्डर देने में आनाकानी कर रही है. आधे-अधूरे फोल्डरों से लटकी जांच उच्चतर माध्यमिक के शिक्षकों के फोल्डर में आधे-अधूरे दस्तावेज व प्रमाण पत्रों की अपठनीय छायाप्रति से भी जांच में बाधा आ रही है. विभागीय लोगों का कहना है कि पिछले सप्ताह ही निगरानी ने ऐसे सैकड़ों फोल्डर लौटा दिए हैं, जिसमें सर्टीफिकेट की छायाप्रति अपठनीय थी. अब विभाग नए सिरे से उस कागजात की कॉपी मंगाकर निगरानी को जांच के लिए देगा. हालांकि जांच शुरू होने के बाद से ही निगरानी की यह लगातार शिकायत रही है कि विभागीय लोग जान-बूझकर कार्य को प्रभावित कर रहे हैं. शिक्षकों के फोल्डर में या तो जरूरी कागजात ही गायब हो जाते हैं, या फिर छायाप्रति को पढ़ना आसान नहीं होता. इस संबंध में पहले भी कई बार डीइओ व डीपीओ स्थापना को पत्र लिखा जा चुका है.
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