मुजफ्फरपुर: जिले में अमानक रूप से चलाये जा रहे सोनोग्राफी सेंटरों को सील करने व संचालक पर एफआइआर करने में स्वास्थ्य विभाग रुचि नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश के बावजूद जिला स्तर पर सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा है.
आलम यह है कि पिछले चार महीनों में जांच में अमानक पाये जाने के बाद भी कई सोनोग्राफी संचालकों पर एफआइआर नहीं की गयी. सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण के नेतृत्व में गठित डॉक्टरों की टीम ने पिछले दिनों शहर के नौ सोनोग्राफी सेंटरों को अमानक पाया था, जिसमें कई बड़े सोनोग्राफी सेंटर भी थे, लेकिन उन सेंटरों को सील नहीं किया गया.
शहर में कई ऐसे सोनोग्राफी सेंटर भी चल रहे हैं, जिनका निबंधन नहीं है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच नहीं की जा रही है.
खुलेआम परीक्षण
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से कई सोनोग्राफी संचालक तय राशि में लिंग परीक्षण करते हैं. सोनोग्राफी कर दंपति को बता दिया जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की. इसके एवज में दो से ढाई हजार रुपये लिये जाते हैं. इस काम में कई दलाल भी सक्रिय हैं.
पिछले दिनों शहर के एक संस्कृतिकर्मी ने जूरन छपरा स्थित एक सोनोग्राफी सेंटर में दो हजार में पत्नी के गर्भ का लिंग परीक्षण कराया, लेकिन ऐसे मामलों की भनक स्वास्थ्य विभाग को नहीं लग पाती. विभाग की उदासीनता के कारण यह नाजायज धंधा खूब चल रहा है.
नहीं होता नियम का पालन
पीएनडीटी एक्ट का अधिकांश सोनोग्राफी सेंटरों को नियमों का पालन करना है. एक भी नियम का उल्लंघन करने पर उन पर एफआइआर का प्रावधान है, लेकिन जिले के अधिकतर सोनोग्राफी सेंटरों में नियमों का पालन नहीं होता.
बिना लाइसेंस चल रहे सोनोग्राफी सेंटर
जिले में चल रहे सोनोग्राफी सेंटरों में 108 का ही निबंधन है. जबकि अन्य बिना लाइसेंस के चल रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो जिले में 200 से अधिक सोनोग्राफी सेंटर खुले हैं, जिसमें कई सेंटर एक्सरे के लिए निबंधित हैं. उनका साइन बोर्ड भी एक्स-रे का ही है, लेकिन वहां सोनोग्राफी होती है. लिंग परीक्षण जैसे काम यहां खूब होते हैं. यहां सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर के पास भी कोई डिग्री नहीं होती. लेकिन ऐसे सेंटरों पर भी विभाग की नजर नहीं है.