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सर्फि सर्वे किया, सपनों को उड़ने नहीं दिया

सिर्फ सर्वे किया, सपनों को उड़ने नहीं दियानुकसान के कारण 1989 से पताही हवाई अड्डा बंदपताही में 1945-46 में किया था जमीन का अधिग्रहण1952-53 में चालू पताही हवाई अड्डा से विमान सेवामुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुरउत्तर बिहार के लोगों को पताही हवाई अड्डा को चालू होने का बेसब्री से इंतजार है. 26 वर्ष पहले बंद हुए इस […]

सिर्फ सर्वे किया, सपनों को उड़ने नहीं दियानुकसान के कारण 1989 से पताही हवाई अड्डा बंदपताही में 1945-46 में किया था जमीन का अधिग्रहण1952-53 में चालू पताही हवाई अड्डा से विमान सेवामुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुरउत्तर बिहार के लोगों को पताही हवाई अड्डा को चालू होने का बेसब्री से इंतजार है. 26 वर्ष पहले बंद हुए इस हवाई अड्डा पर फिर से उड़ान भराने की पहल हो रही है. जनप्रतिनिधि व व्यावसायिक संगठन लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में हैं. नागरिक उडयन विभाग की टीम ने कई बार यहां आकर सर्वे किया. चहारदीवारी भी कर ली गयी. अब देखना है सपनों का उड़ान कब होता है. सात दिसंबर को एविएेशन डे है. यहां के लोगों के दिलों में सपनों के उड़ान नहीं होने का एक कचोट बड़े दिनों से है. आखिर, यह हवाई अड्डा भी चालू रहता तो उत्तर बिहार के लोग सीधे उड़ान भरते. उत्तर भारत में सूती कपड़े की सबसे बड़ी मंडी मुजफ्फरपुर की सूतापट्टी है. वैशाली का इलाका पर्यटन क्षेत्र को लेकर अग्रसर है. बयान::::::::::::मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार का बहुत बड़ा व्यावसायिक केंद्र है. यहां का पश्चिमी इलाका व इससे सटे वैशाली पर्यटन के लिहाज से बड़ा केंद्र है. हवाई अड्डा को चालू करने के लिए कई बार केंद्रीय उडयन मंत्री से मिलकर प्रस्ताव रखा गया है. इसके लिए प्रयास जारी है. अजय निषाद, सांसद मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार वाणिज्य व पर्यटन से जुड़ा है. अब शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. इसलिए पताही हवाई अड्डा से उड़ान अब और भी आवश्यक है. कई बार सरकार को पत्र लिखे, मंत्री से मिले. सकारात्मक आश्वासन मिला. 35 एकड़ और जमीन की आवश्यकता है. इसके लिए मंत्री से मिलेंगे. ताकि, हवाई अड्डा चालू होने का रास्ता साफ हो जाये. सुरेश शर्मा, विधायक, मुजफ्फरपुर 26 से 27 वर्ष पहले तक इस हवाई अड्डा से पटना व रक्सौल का सफर कई बार किये. और वहां से फिर आगे कई गंतव्य स्थानों पर गये. हवाई अड्डा बंद होने के बाद से लगातार विभागीय मंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखते आ रहे हैं. व्यापारियों और मरीजों के लिए यह जरूरी है. इस इलाके में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. जब भी गंभीर मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली-मुंबई आदि अस्पतालों में ले जाने की जरूरत होती तो बड़ी मुश्किल होता है. इसे चालू करने के लिए लगातार प्रयास जारी है. मोतीलाल छापड़िया, अध्यक्ष, नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स हवाई अड्डा का इतिहास पताही हवाई अड्डा के अच्छे-बुरे वक्तपताही हवाई अड्डा अच्छे-बुरे वक्त से गुजरते हुए लंबा समय तय कर लिया है. पताही हवाई अड्डा से उड़ान सेवा 1989 में पूर्णत: बंद हो गया. तब से करीब 1000 एकड़ में स्थित इस हवाई अड्डा को चालू करने का प्रयास सफल नहीं हो सका. अब तो लोगों के जेहन से भी पताही हवाई अड्डा की जानकारी गायब होने लगी है. पताही हवाई अड्डा में काम करने वाले केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग (सीपीडब्यूडी) में काम करने वाले रामचंद्र राय बताते हैं नुकसान होने के कारण इसे कई बार बंद करना पड़ा. 1989 में इस हवाई अड्डा को बिरला ने लिया. कुछ महीने चला. फिर पूर्ण रूप से बंद हो गया. नुकसान के बाद लिया था कलिंगा एयरलाइंस रामचंद्र राय बताते हैं कि करीब 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण वर्ष 1945-46 में हुआ था. तब इंडियन एयर लाइंस ने उड़ान सेवा चालू किया था. नुकसान होने के बाद इंडियन एयर लाइंस ने कालिंगा एयरलाइंस इस हवाई अड्डा को सौंप दिया. मुजफ्फरपुर से पटना का किराया मात्र 50 रुपया था. मुजफ्फरपुर से पटना का पैसेंजर तो मिल जाता था. लेकिन इससे नुकसान की भरपाई मुश्किल था. एक एयर बस में मात्र 16 सीट था. पैसेंजर के अभाव में कलिंगा एयरलाइंस को भी नुकसान होने लगा.कलिंगा के बाद बिरला ने की थी पहल रामचंद्र राय बताते हैं कि वे 1963 में यहां नौकरी शुरू की थी. तब से कई बार चालू करने और बंद करने का काम हुआ. कलिंगा को भी भारी नुकसान हुआ. कलिंगा ने बिरला कंपनी को एयरपोर्ट का काम सौंप दिया. बिरला कंपनी इसे नहीं चला सकी. जब उड़ान भरना बंद हो गया तब यहां पर पायलट ट्रेनिंग सेंटर भी कुछ दिन चला. कैप्टन श्रीनिवास के नेतृत्व में 1970 के दशक में फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोला गया था. कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक ठाक चला लेकिन, उड़ान के दौरान एक विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर नारसन झील में गिर गया. गुड़हन में करीब 600 फीट चौड़ा और 1.25 किलोमीटर लंबाई में ईंट का सोलिंग का रनवे छिपा है. आते पर्यटक, उम्मीदों को मिल जाता पंखवैशाली में बौद्ध और जैन धर्म से जुड़े लोगों को तीर्थ स्थल है. यहां का शांति स्तूप दुनिया में चर्चित है. यहां चीन, जापान, कोरिया, श्रीलंका के बौद्ध भिक्षु आते हैं. महावीर की जन्मस्थली भी है. इस कारण दुनिया के कई देशों के श्रद्धालुओं का आस्था है. सीतामढ़ी में सीता जी की जन्मस्थली है. दरभंगा में दरभंगा महाराज का किला है. पश्चिम चंपारण महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही है.

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