लोक संवेदना के कवि थे महाकिव रामइकबालसमीक्षा प्रकाशन में मनायी गया स्मृति पर्व वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर . महाकवि राकेश उत्तर छायावाद के एक ऐसे महाकवि थे, जिनका प्रारंभ प्रगतिशील साहित्य के प्रभाव में हुआ. कालांतर में हम उन्हें अध्यात्मोन्मुख पाते हैं. उनका काव्य विषमता विरोधी है. राकेश जी लोक संवेदना के साथ उदात्त की उपलब्धि में सफल माने जा सकते हैं. उनका गद्य साहित्य भी पठनीय है. उक्त बातें आलोचक डॉ रेवती रमण ने कही. वे शुक्रवार को समीक्षा प्रकाशन में महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति की ओर से आयोजित राकेश स्मृति पर्व में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. विषय प्रवेश कराते हुए डॉ संजय पंकज ने कहा कि राकेश मानवीय शक्ति में अटूट विश्वास रखने वाले मूल्य संस्कृति के जाग्रत व भास्कर स्वर के एक विलक्षण रचनाकार थे. वे ग्राम्य चेतना के बड़े कवि व मनीषी रचनाकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य संसार को समृद्ध किया था. डॉ पूनम सिंह ने कहा कि राकेश जी ने कविता का आध्यात्म व दर्शन से एक रिश्ता बनाया था. उनका कवि कर्म संपूर्णता में भौतिकता का नकार व जीवनप्रियता का स्वीकार है. ब्रजभूषण शर्मा ने कहा कि राकेश जी ऋषि परंपरा के कवि थे. डॉ विजय शंकर मिश्र ने कहा कि राकेश की सृजन भूमि ग्राम्य अंचल व प्रकृति से बनी हुई थी. इस मौके पर मीनाक्षी मीनल, श्यामल श्रीवास्तव, डॉ विजय वर्मा, ललन कुमार, रामायण कुमार, राहुल कुमार, सतीश कुमार, डॉ विजय वर्मा ने भी विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन पुंज प्रकाश झा ने किया.
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लोक संवेदना के कवि थे महाकिव रामइकबाल
लोक संवेदना के कवि थे महाकिव रामइकबालसमीक्षा प्रकाशन में मनायी गया स्मृति पर्व वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर . महाकवि राकेश उत्तर छायावाद के एक ऐसे महाकवि थे, जिनका प्रारंभ प्रगतिशील साहित्य के प्रभाव में हुआ. कालांतर में हम उन्हें अध्यात्मोन्मुख पाते हैं. उनका काव्य विषमता विरोधी है. राकेश जी लोक संवेदना के साथ उदात्त की उपलब्धि […]
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