कभी-कभी हादसा भी हो जाता है. एंथेसिया विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बेहोशी के लिए मरीजों को इथर की मात्रा, उसका हार्ट व बीपी पर नजर रखने की जिम्मेवारी एएनएम की होती है. इस क्षेत्र में विशेषज्ञता नहीं होने के कारण किसी भी समय चूक की संभावना बनी रहती है. इथर की मात्रा ज्यादा हो गयी, तो मरीजों को बचाना मुश्किल होता है.
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बेहोशी विशेषज्ञ के बिना हो रहा मरीजों का ऑपरेशन
मुजफ्फरपुर: जिले के सभी पीएचसी में बिना एनेस्थेसिया विशेषज्ञ के ही ऑपरेशन किये जा रहे हैं. आलम यह है कि किसी भी पीएचसी में मरीजों को बेहोश करने वाला कोई डॉक्टर नहीं है, लेकिन बंध्याकरण से लेकर सभी तरह के ऑपरेशन हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में मरीजों की जान जोखिम में रहती है. कभी-कभी […]
मुजफ्फरपुर: जिले के सभी पीएचसी में बिना एनेस्थेसिया विशेषज्ञ के ही ऑपरेशन किये जा रहे हैं. आलम यह है कि किसी भी पीएचसी में मरीजों को बेहोश करने वाला कोई डॉक्टर नहीं है, लेकिन बंध्याकरण से लेकर सभी तरह के ऑपरेशन हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में मरीजों की जान जोखिम में रहती है.
सदर अस्पताल में एक विशेषज्ञ
सदर अस्पताल में महज एक एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉ आरबी सिंह हैं. लेकिन वह जब छुट्टी पर रहते हैं तो यहां भी मरीज को बेहोश करने की जिम्मेवारी एएनएम की होती है. ऐसी स्थिति काफी पहले से चल रही है. पिछले एक दशक में विभाग की ओर से एक भी एनेस्थेसिया विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हुई है.
पीएचसी में कार्डियक मॉनीटर नहीं
पीएचसी के ऑपरेशन थियेटर में काडिर्यक मॉनीटर नहीं है. इस कारण मरीजों के ऑपरेशन के समय उनके हार्ट व नब्ज की गति डिस्पले नहीं हो पाती. एएनएम मरीजों का नब्ज देख कर मरीज की स्थिति का पता करती है. जिससे सही समय पर मरीज की स्थिति का अनुमान नहीं चल पाता. इस कारण होने वाली चूक का भी खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.
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