इसमें पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी, तत्कालीन विमला देवी तुलस्यान, विमला देवी के बेटे पिंटू तुलस्यान, वर्तमान मेयर वर्षा सिंह समेत 33 लोगों को आरोपित बनाया गया था. निगरानी ब्यूरो के तत्कालीन डीएसपी खैरुद्दीन ने मामले की जांच की थी. साक्ष्य का आभाव दिखाते हुए न्यायालय में जांच प्रतिवेदन समर्पित किया था. इस पर परिवादी ने सवाल उठाया था. इसके बाद न्यायालय ने दोबारा जांच का आदेश निगरानी एसपी पटना को दिया था. इसके बाद तत्कालीन निगरानी एसपी उपेंद्र प्रसाद सिंह ने जांच की.
उन्होंने जांच में मामले को सही पाते हुए जनवरी 2013 में रिपोर्ट सौंपा था. जनवरी 2013 में तत्कालीन विधायक विजेंद्र चौधरी समेत कई लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसके बाद निगरानी की ओर से मामले में आरोपितों को क्लीन चिट देकर अपना प्रतिवेदन न्यायालय में सौंपा था. तब न्यायालय ने वादी सुधीर कुमार ओझा ने कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद कोर्ट ने मामले के सूचक निगरानी एसपी उपेंद्र सिंह को कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा था, लेकिन वह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए.