मुजफ्फरपुर: एसबीआइ एडीबी शाखा में हुए 12.50 व 29.25 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड से पूर्व ही राशि की निकासी का रास्ता तैयार कर लिया गया था. जिन खातों में फ्रॉड की राशि गई थी, वे फ्रॉड से करीब 5-6 छह माह पूर्व ही खोले गये थे. इन खातों में कभी भी इतना बड़ा ट्रांजेक्शन नहीं हुआ था.
इससे एक बात साफ थी कि साइबर अपराधियों से फ्रॉड करने से पूर्व रकम निकासी के लिए अपना रास्ता तैयार कर लिया था. लेकिन, अपराधी 41.75 करोड़ में से महज दो करोड़ रुपये ही निकाल पाये. दिल्ली सीबीआइ की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है. सीबीआइ ने मामले का उद्भेदन कर कर दिया है लेकिन, निकाले गये दो करोड़ रुपये अभी तक पूरी तरह नहीं वसूल पायी है.
कब और कैसे हुआ फ्रॉड
एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा के नीचे एक होटल व सैलून में बैठ कर नितिन राज वर्मा ने अपने साथियों से साथ मिल कर घटना को अंजाम दिया था. अपराधियों ने बैंक शाखा के नीचे बैठ कर वाइफाइ सिस्टम के जरिये बैंक के सिस्टम को हाइजैक कर आरटीजीएस के माध्यम से करोड़ों रुपये के अवैध ट्रांजेक्शन को अंजाम दिया. दोनों ट्रांजेक्शन सुबह बैंक खुलते ही साढ़े दस बजे के करीब हुए थे. 10 मई 2011 को जिन दो टेबल के सिस्टम से फ्रॉड हुआ था, 25 नवंबर 2011 को भी बैंक के उसी दो टेबल पर रखे सिस्टम को हैक कर घटना को अंजाम दिया गया.