मुजफ्फरपुरः भारत व नेपाल के संबंध को कूटनीति की राजनीति पर नहीं तौला जा सकता है. इनका संबंध सीमाओं से ऊपर है. दोनों देशों के संबंध के बारे में कोई निर्णय लेने से पहले नीति निर्माताओं को सोचना चाहिए. ताकि हर हाल में दोनों देश के नागरिकों का भला हो. सिर्फ सीमा पर तार का बेड़ा बनाने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा. रविवार को आम्रपाली ऑडिटोरियम में इंडो-नेपाल समिट में यह बातें प्रमुख रूप से उठी.
मीडिया फॉर बॉर्डर हारमोनी व पत्रकार कल्याण मंच की ओर से आयोजित इस सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व उप- प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि भारत नेपाल के संबंध को आगे बढ़ाने की जरूरत है. हम दोनों की कुछ साझी समस्याएं है. इसका आसानी से हल निकाला जा सकता है. नेपाल में भारत विरोधी गतिविधियों को खारिज करते हुए पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के प्रति किसी भी साजिश के लिए नेपाल अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा.
वक्ताओं ने कहा कि भारत के लगभग एक करोड़ लोग 1850 किमी लंबी खुली सीमा में बसते हैं, जिनकी रोजी-रोटी नेपाल में उनकी दैनिक आवाजाही पर टिकी है, वे इस फैसले से सीधे बेरोजगार हो जाएंगे. दोनों देश के पत्रकारों की ओर से एक मांग पत्र दिया गया. इस मांग पत्र को भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ जन प्रतिनिधियों तक पहुंचाने के लिए आग्रह किया गया.
प्राचीन काल से है संबंध
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत नेपाल का सांस्कृतिक संबंध प्राचीन काल से है. उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम राम का पैतृक घर भारत में था तो ससुराल नेपाल में था. यह साबित करता है कि दोनों देश सांस्कृतिक रूप से मिले-जुले हुए हैं. उन्होंने नेपाल के जल संसाधन का उपयोग कर दोनों देश में बिजली से विकास करने की
बात कही.
नेपाल में बनती थी रणनीति
सांसद कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद ने दोनों देशों के संबंधों को याद दिलाते हुए कहा कि दु:ख की बात है कि आज दोनों देश की चर्चा अपराधी के छिपे छिपाने के लिए होती है. जबकि पूर्व में हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानी नेपाल में जाकर अंगरेजों के विरुद्ध रणनीति तैयार करते थे.
सांसद अजरुन राय ने कहा कि नेपाल का 65 प्रतिशत व्यापार भारत के साथ है. दोनों देशों में संबंध को और बेहतर करने के लिए प्रयास चल रहा है.
मुख्य वक्ताओं में नेपाल की सासंद व पूर्व मंत्री करीमा बेगम, वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ अध्यक्ष अशोक वैद्य, मधेसी जनाधिकारी फोरम के प्रदीप यादव, गृह राज्य मंत्री प्रतिनिधि मनीष कुमार, नेपाल के पूर्व सांसद प्रदुमन चौहान, मधेसी पत्रकार संघ के पंकज दास, अमरेंद्र यादव, प्रियंका पांडे, राज कुमार सिंधी, भगत सिंह, सांसद प्रतिनिधि अजय निषाद, मेयर वर्षा सिंह, जीप अध्यक्ष चंदा देवी आदि शामिल थी. कार्यक्रम का संचालन अनिल गुप्ता ने किया व इसे सफल बनाने में नंदन वत्स, वार्ड पार्षद राजा विनीत, जदयू नेता शब्बीर अहमद आदि की सराहनीय
भूमिका रही.