डॉ गोपाल जी त्रिवेदी बोले, मई के अंत में बोये धान बदलता मौसम किसानों के लिए भारी चुनौती वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरबदलते मौसम में कृषि चौपट हो रही है. अप्रैल का सुखा रहना चाहिए. लेकिन, अचानक बारिश, बादल से अनाज सुखाना भी मुश्किल हो रहा है. अनाज भंडारण में परेशानी हो रही है. यह सब क्लाइमेट चेंज के कारण हो रहा है. विगत पांच वर्ष में तो बहुत कुछ बदल गया है. मक्का की भारी क्षति हुई. गेहूं की भारी क्षति हुई. फंगस आम व लीची भी गिर रहे हैं. राजेंद्र कृषि विवि पूसा के पूर्व कुलपति डॉ गोपाल जी त्रिवेदी ने बताया कि पर्यावरण में बदलाव के मुद्दे पर कृषि विशेषज्ञ व किसानों को सोचना होगा. संपूर्ण कृषि प्रणाली में बदलाव करना होगा. तभी इस मौसम की चुनौती का सामना करना होगा. एडवांस प्लानिंग की व्यवस्था करनी होगी. साइंस व तकनीक को समझना होगा. गुजरात में इसी कारण प्रखंड व जिला स्तर पर कृषि की प्लानिंग बन रही है. यहां भी सोचना होगा. धान को ट्रांसप्लांटिंग के बदले सीधे बोआई की व्यवस्था करनी होगी. किसानों को डीएसआर तकनीक हर हाल में अपनाना होगा. बिना बिचरा गिराये ही रोपनी करनी होगी. मई के अंत में धान की बोआई हर हाल में कर देनी होगी. तब कुछ सामना कर सकते हैं.
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संपूर्ण कृषि प्रणाली में हो बदलाव
डॉ गोपाल जी त्रिवेदी बोले, मई के अंत में बोये धान बदलता मौसम किसानों के लिए भारी चुनौती वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरबदलते मौसम में कृषि चौपट हो रही है. अप्रैल का सुखा रहना चाहिए. लेकिन, अचानक बारिश, बादल से अनाज सुखाना भी मुश्किल हो रहा है. अनाज भंडारण में परेशानी हो रही है. यह सब क्लाइमेट […]
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