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बच्चे को पढ़ाना है तो स्कूल के नियम से चलना होगा

मुजफ्फरपुर: निजी स्कूल की मनमानी नहीं थम रही है. पिछले दो दिनों में यह साबित हो गया है कि निजी स्कूल प्रबंधन की अपनी मरजी चलती है. अभिभावक चाहे लाख हल्ला कर लें, प्रशासन चाहे सख्त ओदश निकाल दे, लेकिन इसका निजी स्कूलों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. मंगलवार को बेधड़क शहर के कई […]

मुजफ्फरपुर: निजी स्कूल की मनमानी नहीं थम रही है. पिछले दो दिनों में यह साबित हो गया है कि निजी स्कूल प्रबंधन की अपनी मरजी चलती है. अभिभावक चाहे लाख हल्ला कर लें, प्रशासन चाहे सख्त ओदश निकाल दे, लेकिन इसका निजी स्कूलों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. मंगलवार को बेधड़क शहर के कई निजी स्कूलों के स्टॉल पर किताब-कॉपी बेची जा रही थी. मनमाने शुल्क के मुद्दे पर जब कई स्कूलों में लोगों ने प्रमुखता के साथ डीएम के आदेश की बात कहीं तो स्कूल प्रबंधन के जवाब ने अभिभावकों की बोलती बंद कर दी. प्रबंधन ने कहा, बच्चे को पढ़ाना है तो स्कूल के नियम से चलना होगा.
डीएम के आदेश के बाद अंतर सिर्फ इतना हुआ है कि पढ़ाई से जुड़ी सामग्रियों के बेचने के तरीके में थोड़ा बदलाव हुआ. कुछ स्कूलों के स्टॉल खुलने के समय को बदल दिया है. शहर के पक्की सराय स्थित एक निजी स्कूल में बड़े आराम से किताबों की बिक्री चल रही थी. स्टॉल की व्यवस्था स्कूल परिसर के भीतर थी. उक्त स्कूल के स्टॉल पर अभिभावकों की भीड़ लगी थी. यही हाल शहर के गौशाला रोड स्थित एक निजी स्कूल था. यहां एक महिला अभिभावक ने एक साथ तीन अलग-अलग कक्षाओं के लिए किताबें खरीदीं. स्थिति यह हो गयी कि तीन कक्षाओं की किताब से पूरा रिक्शा भर गया.
स्टॉल के खुलने के समय में हुआ बदलाव
निजी स्कूलों में धड़ल्ले से किताब-कॉपी की बिक्री जारी है. लेकिन डीएम की सख्ती के बाद कई स्कूल प्रबंधन ने स्टॉल के खुलने के समय में थोड़ा बदलाव किया है. कई अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूलों ने अहले सुबह स्टॉल खुलने का समय रखा है. सुबह के छह-सात बजे से दो से तीन घंटे किताबों की बिक्री होती है. इसके बारे में अभिभावकों को जानकारी दे दी गयी है. अभिभावकों ने बताया कि हो-हल्ला से बचने के लिए स्कूलों ने स्कूल के समय में परिवर्तन कर दिया है. नारायणपुर अनंत, मालीघाट स्थित स्कूलों में सुबह के समय अभिभावकों ने लाइन में लग कर किताबें खरीदीं.
रसीद से नहीं हटा री-एडमिशन शुल्क
अभी भी कई स्कूलों के रसीद से री-एडमिशन शुल्क को नहीं हटाया गया है. अभिभावकों को जो रसीद दी जा रही है, उसमें री-एडमिशन शुल्क को जोड़ा गया है. शहर के एक स्कूल की रसीद पर री-एडमिशन शुल्क 800 रुपये जोड़ा गया है.
सतर्क हुए कुछ स्कूल
मंगलवार को शहर के कई निजी स्कूल में सतर्कता दिखी. स्कूलों के मेन गेट बंद थे. हालांकि अभिभावक आराम से आ-जा रहे थे. उन्हें सिर्फ गेट पर यह बताना पड़ रहा था कि वे अभिभावक हैं और बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सामग्री लेना है.
मासिक शुल्क देने में विलंब होने पर कक्षा से वंचित
रसीद पर नीचे नोट में लिखा है. विलंब से मासिक शुल्क देने पर 25 रुपये अतिरिक्त लिया जायेगा. वहीं दो माह मासिक शुल्क नहीं जमा करने पर बच्चे को कक्षा से वंचित कर दिया जायेगा. इस तरह की मनमानी अभी भी निजी स्कूल में चल रही है.

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