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खता मेडिकल की सजा मरीजों को
मुजफ्फरपुर: एसकेएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन व डिजिटल एक्स-रे मशीन लगायी गयी थी, लेकिन ये दोनों मशीनें अक्सर खराब रहती हैं. डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भरती मरीजों को बाहर से सीटी स्कैन कराना पड़ता है. इसके लिए उन्हें ढाई से तीगुनी अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है. 800 के जगह 2700. […]
मुजफ्फरपुर: एसकेएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन व डिजिटल एक्स-रे मशीन लगायी गयी थी, लेकिन ये दोनों मशीनें अक्सर खराब रहती हैं. डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भरती मरीजों को बाहर से सीटी स्कैन कराना पड़ता है. इसके लिए उन्हें ढाई से तीगुनी अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है.
800 के जगह 2700. सीटी स्कैन खराब होने से रोज औसतन एक दर्जन मरीजों को निजी जांच घरों में जाना पड़ता है. विभाग में सीटी स्कैन का अधिकतम दर 800 रुपये है, लेकिन निजी जांच घर में सीटी स्कैन कराने पर 1800 रुपये से लेकर 2200 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा मेडिकल से मरीजों को निजी जांच घर ले जाने व लाने के लिए एंबुलेंस पर 500 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं.
रिपोर्ट नॉर्मल आयी. अहियापुर के नवल किशोर यादव इमरजेंसी में बेहोश पड़े थे. परिजन ने बताया कि बाहर से सीटी स्कैन कराना पड़ा है. 2200 रुपये फीस लगी. हथौड़ी के शाहपुर निवासी मरीज राम पासवान के परिजन बताते हैं कि सड़क दुर्घटना में तीन लोग घायल हुए थे. दो का सीटी स्कैन कराना पड़ गया. उन्हें 4000 रुपये शुल्क देने पड़े.
बिहार के किसी भी सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं चलती है. एसकेएमसीएच में हम मरीजों को इसका लाभ दे रहे हैं. इधर, कुछ दिनों से मशीन खराब थी. टेक्नीशियन उसे बनाने में जुटे हैं. विभाग में चिकित्सकों की भी कमी है. मुझको लेकर कुल तीन ही चिकित्सक शिक्षक विभाग में कार्यरत हैं.
डॉ जीके ठाकुर, रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं अस्पताल अधीक्षक, एसकेएमसीएच
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