मुजफ्फरपुर: जनहित में खर्च की जाने वाली राशि से उत्तर बिहार के आठ जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने सुविधाओं से जुड़े कई सामान खरीद लिये. इसपर कुल मिला कर करीब चार करोड़ रुपये अवैध रूप से लुटा दिया गया. राशि के बंदरबांट का मामला 2001-2002 से जुड़ा है. जहां अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख पैसे लुटाये.
वहीं हकदार लोगों को योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया. इस राशि से अधिकारियों ने ऐसे सारे कार्य कर डाले जिन्हें महालेखाकार ने अवैध कार्यो की श्रेणी में रखा था. गबन के इस मामले का खुलासा 2009-10 की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. कारगुजारी उजागर होने के बाद अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं. वहीं, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने अधिकारियों को पत्र भेज कर रिपोर्ट मांगी है.
18 अधिकारियों की फंसी गर्दन
राशि के बंदरबांट के बाद जब मामले का खुलासा हुआ तो उत्तर बिहार के आठ जिलों में शिक्षा विभाग के 18 अधिकारियों की गर्दन फंस गयी है. इनमें बेतिया, सीतामढ़ी, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, शिवहर, मधुबनी जिले के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी शामिल हैं. राशि लुटाने में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप है.
चैंबर को चमकाया
ऑडिट रिपोर्ट के खुलासे के मुताबिक अधिकारियों ने इस राशि का खर्च अपने चैंबर को चमकाने में किया. सुविधाओं का सामग्रियों को उनके चैंबर में अधिक से अधिक दी गयी. इस राशि से ऐसी वस्तुएं भी खरीदी गयीं जिन्हें महालेखाधिकारी ने अवैध माना है. अधिकारियों ने इस पैसे का उपयोग दूसरों के हक को छीन कर किया.
कैग ने मांगी रिपोर्ट
ऑडिट रिपोर्ट में राशि के बंदरबांट के खुलासे के बाद भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने हिसाब देने के लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट तलब की है.
महालेखाकार से ऑडिट पत्र
मिलने के बाद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने विभाग के अधिकारियों को पत्र भेज कर पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, अधिकारियों ने ऑडिट आपत्तियों का निराकरण नहीं किया है. इससे मामला और संदिग्ध होता जा रहा है.