प्रारंभिक पूछताछ में लेन-देन के विवाद में ही हत्या की बात सामने आयी है. हालांकि पुलिस प्रेम-प्रसंग के कोण पर भी जांच कर रही है. पुलिस का कहना है कि मो कलीम से उसकी गहरी दोस्ती थी. कलीम ही पैसे का लेन-देन करता था. हत्या से कुछ दिन पूर्व ही लालबाबू मुंबई से औराई आया था. घटना के दिन मो कलीम के साथ वह कटरा रजिस्ट्री कार्यालय गया था. उसी दिन शाम में मो शहाबुद्दीन दूसरी जमीन दिखाने के बहाने बुला कर ले गया था. उसके नहीं लौटने पर परिजनों ने थाने में अपहरण की आशंका जताते हुए शिकायत दर्ज करायी थी. बता दें कि नौ मार्च को औराई के हलीमपुर से लालबाबू को अगवा कर लिया गया था.
11 मार्च को उसका शव कटरा प्रखंड के बरैठा पुल के समीप क्षत-विक्षत अवस्था में मिला था. हत्याकांड के विरोध में लोगों ने मकसूदपुर चौक को जाम कर दिया था. मृतक का मुंबई के घाटकोपर में चेन-बेल्ट की फैक्टरी थी. उसके ससुर महेश स्थान गांव निवासी शफी अहमद ने मो शहाबुद्दीन, मो कलीम, मो निजामुद्दीन, मो अंजार, मो प्यारे व मो दुलारे पर नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इन पर रुपये के लेन-देन व पैसे वापस करने के दबाव बनाने पर लालबाबू की हत्या करने का आरोप लगाया था.