मुजफ्फरपुर : वाहनों में प्रेशर हॉर्न एक फैशन बन गया है. चार पहिया वाहनों के साथ–साथ अब बाइक में भी प्रेशन हॉर्न लगाया जा रहा है. इसकी आवाज इस तरह होती है कि बाइक पीछे होने पर भी चार पहिया वाहन का ही आभास होता है. प्रेशन हॉर्न की आवाज से कोई यात्री घबरा जाता है.
ऐसे में दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. इसका असर इतना खतरनाक होता है कि यह सुनने की क्षमता को पूरी तरह नष्ट भी कर सकता है. इतना ही नहीं यह दिल की बीमारी वाले लोगों के लिए अत्यंत खतरनाक होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्ती से पाबंदी लगाने का आदेश भी दिया था लेकिन आज भी यह शहर में धड़ल्ले से गाड़ियों में उपयोग किया जा रहा है. इस तरह के हॉर्न का प्रयोग करना कानूनन अपराध है.
कुछ दिनों पूर्व परिवहन विभाग के प्रधान सचिव ने इस पर रोक के लिए दिशा–निर्देश भी जारी किया था, जिसमें सभी जिला परिवहन पदाधिकारी को इसके खिलाफ अभियान चलाने की बात कही गयी थी. साथ ही इस पर होने वाली कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने की भी बात कही गयी थी. महीनों बीत जाने के बाद भी आज तक इस अमल नहीं हुआ.
क्या है प्रेशर हॉर्न
जब आप शोरूम से टू व्हीलर, फोर व्हीलर आदि वाहन खरीदते हैं. उस समय जो हॉर्न आपके वाहन में लगा रहता है वह एक मानक के अनुरूप होता है. उसके अलावा आप उसमें कोई भी तेज आवाज की अतिरिक्त हॉर्न लगाते हैं तो वह प्रेशन हॉर्न होता है. इसकी आवाज की सीमा 100 डेसीबल के करीब होता है.
मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 190 (2) के तहत इसमें एक हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. आज सड़कों पर कई युवा बाइक सवार ऐसे हैं तो 100 सीसी के बाइक में भी प्रेशन हॉर्न का प्रयोग करते हैं. यह हॉर्न गाड़ी को भी क्षति पहुंचाता है. बैट्री की लाइफ को कम कर देता है.