इसमें देर रात तक मजमा लगा रहता है. बताया जाता है कि यहां की गतिविधि से पुलिस भी वाकिफ है. इसके वाबजूद सब कुछ बे- रोक टोक चलता रहता है. रात के समय में हल्ला हंगामा यहां की आम बात है. कलेक्ट्रेट में तैनात गार्ड भी इसे सामान्य तरीके से लेते हैं. हालांकि गैंगरेप की घटना सामने आने के बाद से उक्त होटल में मजमा लगना बंद हो गया है. होटल के एक कर्मचारी ने बताया कि मालिक ने काफी कड़ाई कर दी है. अब कोई कुछ नहीं कर पा रहा है. उक्त कर्मचारी ने कहा, हम लोग दूध के धुले नहीं है, जो घटनाएं इस इलाके में होती है. उनके लिए हम लोग भी जिम्मेवार हैं.
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कलेक्ट्रेट के आसपास रात में घूमते हैं संदिग्ध
मुजफ्फरपुर: कलेक्ट्रेट में हुए गैंगरेप ने न केवल अति सुरक्षित परिसर मानेजाने वाले इस क्षेत्र की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि इसके आस-पास के क्षेत्र में चल रहे गोरखधंधे की पोल भी खोल दी है. कलेक्ट्रेट के कर्मी हो या जिप के कर्मचारी सभी को इस क्षेत्र में चलने वाले गतिविधि की […]
मुजफ्फरपुर: कलेक्ट्रेट में हुए गैंगरेप ने न केवल अति सुरक्षित परिसर मानेजाने वाले इस क्षेत्र की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि इसके आस-पास के क्षेत्र में चल रहे गोरखधंधे की पोल भी खोल दी है. कलेक्ट्रेट के कर्मी हो या जिप के कर्मचारी सभी को इस क्षेत्र में चलने वाले गतिविधि की जानकारी है, लेकिन दंबगों के डर के कारण यह लोग इस पर चर्चा करने से परहेज करते हैं.
कुरदने के बाद नाम नहीं छापने के शर्त पर कलेक्ट्रेट के एक पुराने कर्मी बताते है कि जिला परिषद के मार्केट में बना एक होटल ही फसाद का जड़ है. देर रात तक पियक्कड़ों का आना जाना लगा रहता है. रेलवे स्टेशन के मवाली से लेकर शहर के कथित रइसजादे इसे खाने – पीने व मौज मस्ती के लिए सुरक्षित जोन मानते हैं.
इधर, समाहरणालय स्थित एक मंदिर के अगल बगल में बदमाशों के जुटने की बात बतायी जाती है. जिला परिषद की ओर से आने वाले सकड़ी गली इनके लिए वरदान है. शाम होने के बाद गांजा-भांग पीने के लिए यह लोग मंदिर के पास जुट जाते है. बताया तो यहां तक जाता है कि कुछ दिन पहले मंदिर पर छुटभैया किस्म के अपराधी का आना जाना लगा रहता था. इनके यहां जुटने के पीछे लोग तरह-तरह की बात करते है.
चहारदीवारी की ऊंचाई कम
समाहरणालय के पीछे (जिला परिषद के तरफ ) वाला चहारदीवारी की उंचाई काफी कम होने से इसमें चढ़ना उतरना आसान है. सुविधा के लिए बोरी में बालू डाल कर रखा गया है. जीआरपी के अनुसार रेप के पीड़िता को इसी रास्ते बदमाश लेकर आपातकालीन संचालन केंद्र में गये थे. यह इलाका शाम ढलते ही सुनसान हो जाता है. पहले जिला परिषद की ओर से आने के लिए बड़ा गेट लगा हुआ था. लेकिन पूर्व जिलाधिकारी आनंद किशोर ने सुरक्षा के मद्देनजर गेट में जंजीर व ताला लगा दिया है. गेट में पैदल आने-जाने वालों के लिए जगह है. हालांकि अब गेट के ठीक सामने आपदा विभाग का स्टोर है.
अब सामान्य रुप से लोग इस रास्ते से नहीं आते जाते है. लेकिन गुंडे व मवाली के लिए यह गेट काफी सुरक्षित है. रात में इस गेट को पूरी तरह बंद कर देने के बाद बाउंड्री वाले रास्ता का उपयोग होता है.
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