मुजफ्फरपुर. सूतापट्टी स्थित श्री सालासार हनुमान मंदिर में आयोजित संगीतमय नवाह पारायण पाठ के चौथे दिन मंगलवार को भगवान राम वन गमन की कथा हुई. चित्रकूट से आये संत रामावतार दास त्यागी ने लोगों को राम वनवास की कथा सुना कर मुग्ध कर दिया. उन्होंने कहा कि भगवान राम स्वयंवर के बाद जनकपुर से अयोध्या पहुंचते हैं. उनका भव्य स्वागत होता है. जब राज्याभिषेक का वक्त आता है तो ऐन वक्त पर वहां माता कैकयी पहुंच कर राजा दशरथ से पूर्व में मांगे गये दो वरदान का हवाला देती हुई कहती हैं कि आप भरत का राज्याभिषेक करें और राम को वनवास दें. चूंकि दशरथ कैकयी को वचन दे चुके थे. लेकिन उन्हें यह समझ नहीं थी कि रानी कैकयी उन से ऐसा वर मांग बैठेगी. उन्हें दुख तो होता है, मगर वे कहते हैं कि रघु कुल रीत सदा चली आयी, प्राण जाये पर वचन न जायी. इसी के साथ भरत का राज्याभिषेक होता है और राम को वनवास जाने की आज्ञा मिलती है. तब प्रभु श्री राम माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए भार्या जानकी और अनुज लक्ष्मण के साथ वन को प्रस्थान कर जाते हैं. वन में उनकी मुलाकात निषाद राज से होती है. फिर वे प्रयाग तट पर पहुंचते हैं. रामायण पाठ के दौरान नगर विधायक सुरेश शर्मा, संयोजक दीपक पोद्दार, अंबिका ढंढ़ारिया, नवल किशोर सुरेका, रमेश टिकमानी, वार्ड पार्षद केपी पप्पू, पुरुषोत्तम पोद्दार आदि मौजूद थे.
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रघु कुल रीत सदा चली आयी…
मुजफ्फरपुर. सूतापट्टी स्थित श्री सालासार हनुमान मंदिर में आयोजित संगीतमय नवाह पारायण पाठ के चौथे दिन मंगलवार को भगवान राम वन गमन की कथा हुई. चित्रकूट से आये संत रामावतार दास त्यागी ने लोगों को राम वनवास की कथा सुना कर मुग्ध कर दिया. उन्होंने कहा कि भगवान राम स्वयंवर के बाद जनकपुर से अयोध्या […]
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