मुजफ्फरपुर: ब्रह्मपुरा पुलिस ने 13 साल बाद एक मामले में एफआइआर दर्ज की है. इस मामले में कोर्ट ने 13 साल पहले ही थाने को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था, लेकिन थाने की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही थी. बार-बार कोर्ट की ओर से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने को रिमाइंडर भेजा जा रहा था, लेकिन थाने पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था.
इसी बीच कोर्ट ने ब्रह्मपुरा के थाना प्रभारी को शशरीर छह मई को कोर्ट में हाजिर होकर जवाब देने को कहा तो आनन-फानन में 25 अप्रैल को मामला दर्ज कर लिया गया. यह मामला माला कुमार व मनोज कुमार के अंतरजातीय विवाह से जुड़ा है. मनोज कुमार कहते हैं, उन्होंने 20 मार्च 1998 में माला से कोर्ट में शादी की थी. यह माला के परिजनों को रास नहीं आया. उन्होंने हमारे साथ मारपीट की.
इसी को लेकर माला की ओर से अपने पिता सच्चिदानंद ठाकुर व चाचा विद्यानंद ठाकुर के खिलाफ 19 जून 2000 कोर्ट में आवेदन दिया गया था. यह लोग सरैया थाना क्षेत्र के बखरा शुक्ल गांव के रहनेवाले हैं. कोर्ट ने उसी दिन ब्रह्मपुरा थाने को आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था, लेकिन थाने का रवैया इस मामले ठुलमुल रहा. माला व मनोज ब्रह्मपुरा के अयोध्यानगर इलाके में रहते हैं.
इनका कहना है, माला के परिजनों ने यहीं आकर इन लोगों से मारपीट की थी, जिस समय मारपीट की घटना हुई थी, उस समय माला घर में अकेली थी.
माला व मनोज के घर में डकैती भी हुई थी. इनका शक है, सच्चिदानंद व विद्यानंद ठाकुर के इशारे पर ही इस घटना को अंजाम दिया गया था. माला के पति मनोज का कहना है, वह न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं. अभी तो एफआइआर हुई है. कोर्ट इस मामले में जो फैसला करेगा, वही हमें मान्य होगा. इस मामले में एफआइआर के लिए ही उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है. बार-बार कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े. थाने में कोर्ट की ओर से रिमाइंडर जाता था, लेकिन वहां पर कार्रवाई नहीं हो रही थी. कोर्ट के कड़े रुख के कारण ही एफआइआर हुई है.