मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में पेंडिंग रिजल्ट के सुधार की प्रक्रिया काफी जटिल है, या यूं कहें इसे जटिल बना दिया गया है. हाल यह है कि पेंडिंग सुधार के लिए रिजल्ट निकलने के महीनों बाद तक छात्र-छात्राओं को कॉलेज, विवि व टेबुलेटर के घर तक चक्कर लगाना पड़ता है.
ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी दूर-दराज के गांवों व सीतामढ़ी, वैशाली, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण जिलों में स्थित कॉलेजों के छात्रों को होती है.
विवि में कॉपियों के मूल्यांकन का काम पूरा होने के बाद परीक्षा विभाग टेबुलेटर की बहाली करता है. टेबुलेटर पहले रफ टीआर की कॉपी तैयार कर विभाग को सौंपते हैं, जिसके आधार पर रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जाता है. इसके बाद मार्कशीट तैयार होते हैं.
आखिर में टीआर की तीन कॉपियां तैयार कर टेबुलेटर विवि को सौंपते हैं. फिलहाल एक टेबुलेटर को पंद्रह से बीस हजार छात्रों का टीआर व मार्कशीट तैयार करने का जिम्मा सौंपा जाता है. संख्या अधिक होने के कारण इसमें महीनों लग जाते हैं. तब तक टीआर टेबुलेटर के घर पर ही रहता है. ऐसे में जब रिजल्ट प्रकाशन के बाद परीक्षार्थी पेंडिंग सुधार के लिए विवि कर्मियों व अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं तो उन्हें टेबुलेटर के घर भेज दिया जाता है. ऐसा तब होता है जब टेबुलेशन कार्य अति गोपनीय श्रेणी में आता है. खुद परीक्षा विभाग ही टेबुलेटर का नाम उजागर कर गोपनीयता को भंग करते हैं, ताकि उनका टेंशन खत्म हो सके. इससे बिचौलियों को परीक्षार्थियों के आर्थिक दोहन का भी मौका मिल जाता है सो अलग. टेबुलेटर के घर पेंडिंग सुधार के लिए जाने से पूर्व परीक्षार्थी को आवेदन लिख कर उसे संबंधित कॉलेज के प्राचार्य से अग्रसारित भी करवाना होता है. इससे समय की काफी बरबादी होती है. पेंडिंग रिजल्ट की संख्या हजारों में होने के कारण विवि में अगली परीक्षा की तिथि भी स्वत: आगे बढ़ जाती है और सत्र में देरी होती है.