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वियतनाम में लीची बगान से एइएस का संबंध

मुजफ्फरपुर: एइएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) का लीची बगानों से कोई संबंध है या नहीं. इसको लेकर अपने यहां बात होती रही है. सालों से गर्मी बढ़ने के साथ होनेवाली इस बीमारी की आखिर वजह क्या है? इसकी वजह कौन सा वायरस है? इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है. अपने यहां की तरह उत्तरी […]

मुजफ्फरपुर: एइएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) का लीची बगानों से कोई संबंध है या नहीं. इसको लेकर अपने यहां बात होती रही है. सालों से गर्मी बढ़ने के साथ होनेवाली इस बीमारी की आखिर वजह क्या है? इसकी वजह कौन सा वायरस है? इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है.

अपने यहां की तरह उत्तरी वियतनाम में भी एइएस का कहर बरपता है, यहां पिछले पांच सालों से अंतरराष्ट्रीय चिकित्सक लगातार शोध कर रहे हैं, जो वियतनाम में लीची इस नतीजे पर पहुंचे हैं. इस बीमारी का संबंध कहीं न कहीं लीची बगानों से है. हालांकि वहां भी अभी तक बीमारी के वायरस के बारे में पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन यह जरूर कहा गया है, इसका संबंध लीची के बगानों से है.

उत्तरी वितयनाम में अपने यहां जैसे ही हालात है. वहां भी बड़े पैमाने पर लीची के बगान है. अपने यहां की तरह मौसम है. गंदगी है, मच्छर हैं. बच्चे बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं. वहां इस बीमारी पर 2004 से 2009 के बीच शोध किया गया. इसे एक इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित किया गया है. शोध के दौरान बीमारी से प्रभावित 239 बच्चों के मामलों को देखा गया. इस दौरान डॉक्टरों ने उन सभी जगहों का दौरा किया, जहां इस बीमारी से संबंधित जानकारियां मिल सकती थीं. डॉक्टर लीची बगानों से इस बीमारी के संबंध होने के निष्कर्ष पर तो पहुंचे हैं, लेकिन इसका वायरस कौन सा है. अभी इसका पता वियतनाम में भी नहीं लगा है. वहां भी हर साल 1800-2300 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं. इनमें सैकड़ों बच्चों की जान चली जाती है. विशेषज्ञ लगातार बीमारी के वायरस का पता लगाने में जुटे हैं.

उत्तरी वियतनाम में एइएस का प्रकोप 1999 में पहली बार हुआ. यहां भी मई से जुलाई के बीच यह बीमारी हुई. यहां भी जिन बच्चों को यह बीमारी हुई. उनमें 88 फीसदी की उम्र 15 साल से कम थी. हर साल उत्तरी वियतनाम से लगभग सौ बच्चों को इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में भेजा जाता है. यहां इलाज करनेवाले डॉक्टरों का कहना है, कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिनके बारे में पता नहीं चलता है, क्योंकि एइएस से प्रभावित कई बच्चे अपने घरों में ही दम तोड़ देते हैं.

अगर हम एशिया की बात करें तो कई देशों में एइएस का प्रकोप है. इससे हर साल लगभग 50 हजार लोग प्रभावित होते हैं. कुछ साल पहले निपाह व चांदीपुरा वायरस की पहचान की गयी थी. इन्हें एक्यूट इंसेफ्लाइटिस के लिए जिम्मेदार माना गया था. यह दोनों वायरस मलेशिया व इंडिया में मिले थे.

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