मुजफ्फरपुर : आज के समय में अपराध पीड़ितों को उचित मान-सम्मान नहीं मिल पाता है. इस परिस्थिति में ज्यूडिशियरी की जिम्मेवारी काफी बढ़ गयी है. न्यायाधीशों का दायित्व बनता है कि वे विधिक प्रावधानों के तहत पीड़ितों को मान-सम्मान के साथ उचित मुआवजा दिलाएं.
मानवीय आधार पर भी उनके जख्मों पर मरहम लगाने का भी प्रयास करें. यह बातें पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस रेखा एम दोशित ने शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय जोनल ज्यूडिशियरी सेमिनार सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही.
आपराधिक विधि में पीड़ितों का स्थान विषय पर आयोजित सेमिनार में चीफ जस्टिस ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि क्रिमिनल एक्ट में कई बदलाव आये हैं. इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली बात नहीं रही. सभी कानून के दायरे में हैं.
* नये एक्ट के तहत हों निर्णय
नये एक्ट 357 बी व सी का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायाधीश इसके परिप्रेक्ष्य में निर्णय सुनायें. जजों को माइंड सेट बदलने की जरूरत है. इससे पीड़ित को जल्द न्याय मिलेगा. बिहार ज्यूडिशियरी एकेडमी के निदेशक सह हाइ कोर्ट के जज जेएम शर्मा ने कहा कि सेमिनार में मुख्य रूप से अपराध पीड़ितों को मानवीय संवेदना के साथ त्वरित न्यायिक सेवा उपलब्ध कराने की बात कही गयी है.
* जोनल ज्यूडिशियरी सेमिनार सह कार्यशाला में बोलीं पटना हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस
* क्रिमिनल एक्ट में बदलाव के परिणाम सकारात्मक
* नहीं चलेगी जिसकी लाठी उसकी भैंस
* नये कानून के परिप्रेक्ष्य में लिये जाएं फैसले
* न्यायाधीश को माइंडसेट बदलने की जरूरत
* बेतिया को मिला सर्टिफिकेट ए