मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के इलाज के लिए सदर अस्पताल में वार्ड की शुरुआत तो कर दी गयी है, लेकिन सिर्फ कागजों पर. हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आइसोलेशन वार्ड के ऊपरी मंजिल पर बनाये गये वार्ड में ताला लटका है.
वार्ड में प्रवेश के लिए बनी सीढ़ी के दरवाजे पर भी ताला लगा हुआ है. इस वार्ड के लिए नियुक्त पारामेडिकल स्टाफ का भी कोई अता-पता नहीं है. आलम यह है कि यदि कोई पीड़ित बच्चे को लेकर पहुंचता है तो ताला खुलेगा या नहीं कहना मुश्किल है.
आइसोलेशन वार्ड में कार्यरत नर्स व रजिस्ट्रेशन काउंटर पर बैठे कर्मचारी को भी इसकी जानकारी नहीं है. सोमवार को इमरजेंसी के स्टाफ से लेकर वार्ड अटेंडेंट से चाबी के बारे में पूछा गया, लेकिन किसी को इसके बारे में जानकारी नहीं थी.
ऐसे में यदि कोई पीड़ित बच्च आता है तो परिजनों को ताला खुलवाने में ही पसीने छूट जायेंगे. बच्चों का इलाज तो दूर की बात है. हालांकि, एक सप्ताह पूर्व विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ एसएम मुश्ताक ने सदर अस्पताल का निरीक्षण कर वार्ड में डॉक्टर व पारामेडिकल स्टाफ को डय़ूटी पर लगाने की बात कही थी. लेकिन बीमारी शुरू होने के बाद तक अस्पताल में यह व्यवस्था शुरू नहीं की जा सकी.