मुजफ्फरपुर: प्रकृति के कहर के कारण केदारनाथ की यात्र पर निकले शहर के 22 लोग गंगोत्री व उत्तरकाशी के बीच फंसे हुये है. इन लोगों में 60 वर्षीय वृद्ध से लेकर सात वर्ष के बच्चे भी हैं. सभी की स्थिति खराब है. पिछले चार दिनों से गंगलाटी में फंसे होने के बाद सारे लोग 15 किलोमीटर पैदल चल कर भटवारी कस्बे में पहुंचे हैं, लेकिन यहां से निकलने का कोई रास्ता इन्हें नहीं दिख रहा है.
इन्हें बचाने के लिए अब एक मात्र सहारा हेलीकॉप्टर ही बचा है. लेकिन वहां के प्रशासन की ओर से अब तक इसकी व्यवस्था नही की गयी है. तीर्थ यात्र में गये आमगोला निवासी अजय हिसारिया के भाई विकास हिसारिया ने कहा कि मेरी मां, भाई, भाभी व भतीजे अनजान जगह पर फंसे हुये हैं. सुबह उनलोगों से बात हुई है. काफी चिंतित हूं.
किससे कहूं. समझ में नहीं आ रहा है. भैया अजय बता रहे हैं कि अब यहां से उत्तरकाशी जाने के लिए एकमात्र सहारा हेलीकॉप्टर ही है. यहां सेना का हैलीपैड है. लेकिन हेलीकॉप्टर नहीं है. किसी तरह उत्तरकाशी पहुंच जायें तो वहां से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है. समूह में रमना निवासी राधेश्याम राठी व उनकी पत्नी भी हैं. श्री राठी के बेटे धीरज राठी कहते हैं कि पिता जी से बात हुई है. चिंता बनी हुई है.
सरकार हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध करा दे तो सारे लोगों की जान बच जायेगी. वहां सारे लोग घबराये हुये हैं. मोबाइल भी रिचार्ज नहीं हो पा रहा है. नेटवर्क की भी समस्या है. सिकंदरपुर निवासी मंटू सुरेका भी पत्नी व बच्चे के साथ उस समूह में हैं. उनके भाई राजेंद्र सुरेका कहते हैं कि किसी तरह वे लोग बच कर आ जाये. सरकार को हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध कररानी चाहिए. जिससे उनलोगों की जान बच स्के.
10 ज़ून को की थी यात्रा की शुरूआत
शहर के इन तीर्थयात्रियों ने 10 जून को यात्र की शुरुआत की थी. इन लोगों को गंगोत्री से वापस उत्तरकाशी जाकर केदारनाथ जाना था. ये लोग गंगोत्री तो गये. लेकिन वहां से वापस आते वक्त प्रलय की बारिश में गंगलाटी में फंस गये. चार दिनों तक वहीं फंसे रहे. इस दौरान उनके परिजन लगातार संपर्क की कोशिश करते रहे. यात्र पर गये लोगों के परिजनों का कहना है कि जान सांसत में है. इस ईश्वर से एक ही विनती है कि वे लोग सकुशल लौट आये.