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एनओसी जांच में एक हजार वाहनों की इंट्री अटकी

मुजफ्फरपुर: दूसरे राज्यों से खरीद कर लाये गये वाहनों के एनओसी जांच को लेकर करीब एक हजार वाहनों का इंट्री का मामला परिवहन विभाग में लटका पड़ा है. इस कारण वाहन मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दो से चार लोग प्रतिदिन कार्यालय में इस काम को लेकर आते हैं. लेकिन […]

मुजफ्फरपुर: दूसरे राज्यों से खरीद कर लाये गये वाहनों के एनओसी जांच को लेकर करीब एक हजार वाहनों का इंट्री का मामला परिवहन विभाग में लटका पड़ा है. इस कारण वाहन मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दो से चार लोग प्रतिदिन कार्यालय में इस काम को लेकर आते हैं. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है.

लंबित मामलों में कुछ मामले 5-8 साल पुराने हैं. ऐसे वाहन मालिकों का कहना है कि वह एनओसी लेकर साथ में इंट्री कराने के लिए कागजात जमा कराते हैं. लेकिन उनके द्वारा लाये गये एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की फिर से जांच की जाती है. परिवहन नियम के अनुसार जब तक वाहन मालिकों द्वारा दिये गये एनओसी की विभागीय स्तर पर जांच नहीं हो जाती है, तब तक उन वाहनों का स्थानीय स्तर पर इंट्री नहीं हो सकती है. जांच के लिए स्थानीय कार्यालय से संबंधित परिवहन कार्यालय को चिट्ठी जारी की जाती है, जहां से एनओसी जारी हुई है. वहां से सत्यापन की चिट्ठी स्थानीय कार्यालय में आने पर ही वाहनों की इंट्री की जाती है.

क्यों होती है एनओसी की जांच
एनओसी का मतलब है नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट. इसका मतलब है कि वह वाहन टैक्स डिफॉल्टर नहीं है और उस पर कोई कानूनी मामला नहीं चल रहा है. परिवहन कार्यालय में पूर्व में कुछ एनओसी के मामले में गड़बड़ी मिली थी. ऐसे में विभागीय स्तर पर एनओसी जारी करने वाले कार्यालय से पत्रचार कर सत्यापन किया जाता है. इसमें तो कई बार 10 से 20 दिनों में तो कुछ मामलों में महीनों तो कुछ में साल भर का समय लग जाता है.

जिन मामलों में देरी होती है, उसमें परिवहन विभाग द्वारा दोबारा जांच के लिये रिमाइंडर भेजा जाता है. लेकिन उनका जवाब नहीं मिला है और जिस एनओसी का जवाब नहीं मिलता है, ऐसे में स्थानीय परिवहन कार्यालय में वाहन की इंट्री नहीं होती है. ऐसे वाहन मालिकों को लगता है कि उन्हें जबरन दौड़ाया जा रहा है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. इस परेशानी से बचने के लिए कुछ वाहन मालिकों ने खुद से उस चिट्ठी की कॉपी लेकर संबंधित कार्यालय से उसकी जांच का जवाब भिजवा कर अपने वाहनों की इंट्री करवा चुके हैं.

विभागीय नियम कहता है कि वाहन मालिक द्वारा दिये गये एनओसी की जांच विभागीय स्तर पर करा कर ही वाहनों की इंट्री करनी है. समय पर जवाब नहीं मिलने पर संबंधित कार्यालय को रिमाइंडर भेजा जाता है. ऐसे में वाहन मालिक टैक्स का भुगतान कर वाहन चला सकते हैं और सभी जरूरी कागजात साथ में रखें. लेकिन उनके वाहन की इंट्री नियमानुसार ही होगी.
मनन राम, डीटीओ

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