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बकरीद कल, जम कर हुई खरीदारी

मुजफ्फरपुर: बलिदान का त्योहार बकरीद को मनाने के लिए शनिवार को बाजार में खरीदारी की धूम रही. कुर्बानी के लिए बकरे की खरीदारी करने गांव से भी लोग पहुंचे. शहर के पक्की सराय, कंपनीबाग, सदपुरा व मेहद हसन चौक पर दिन भर बकरों की खरीदारी हुई. बकरा बाजार में छह से लेकर 23 हजार तक […]

मुजफ्फरपुर: बलिदान का त्योहार बकरीद को मनाने के लिए शनिवार को बाजार में खरीदारी की धूम रही. कुर्बानी के लिए बकरे की खरीदारी करने गांव से भी लोग पहुंचे. शहर के पक्की सराय, कंपनीबाग, सदपुरा व मेहद हसन चौक पर दिन भर बकरों की खरीदारी हुई. बकरा बाजार में छह से लेकर 23 हजार तक बकरों की बिक्री हुई.

हालांकि इस बार कीमत अधिक होने के कारण ग्राहकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. कुर्बानी के लिए कई परिवार के लोगों ने एक साथ मिल कर बकरों की खरीदारी की. सदपुरा के मो इस्लाम ने कहा कि साथ मिल कर दी हुई कुर्बानी भी खुदा कबूल करते हैं. इसलिए साथ मिल कर हमलोग कुर्बानी देंगे.

कपड़ों की खरीदारी की धूम : त्योहार को लेकर कपड़ों की खरीदारी की धूम रही. शहर के बाजार में पाजामा कुरता, सूट, नकाब व टोपियों की दुकान पर लोगों की भीड़ जमी रही. सबसे अधिक बिक्री पाजामा कुरते व सूट की हुई. लखनवी सहित कढ़ाई की हुई पाजामा कुरता की भी विशेष मांग रही. चूड़ीदार पाजामा की मांग भी काफी थी. लेडिज सूट में परंपरागत कपड़ों की डिमांड काफी थी. इसके अलावा पांच से लेकर 100 रुपये तक की टोपियां व अतर की खरीदारी के लिए भी सुबह से रात तक लोगों की भीड़ लगी रही. सरैयागंज सहित मोतीझील के दुकानों में बकरीद की खरीदारी के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी. दुकानदार मो इश्तेहाक ने कहा कि दशहरा के कारण दो दिन ग्राहकों का रुझान कम रहा है. खरीदारी के लिए एक दिन और शेष बचे हैं.

प्यारी चीज कुर्बान करने का त्योहार बकरीद

मौलाना शब्बीर रहमानी कहते हैं कि प्यारी चीज कुर्बान करने का त्योहार बकरीद है. अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने के लिए कहा. हजरत इब्राहिम ने सोचा की मुङो सबसे ज्यादा प्यारा बेटा है. अल्लाह की इच्छा के अनुसार उसे ही कुर्बानी करनी चाहिए. उसने बेटे की कुर्बानी करनी चाही, लेकिन ऐन वक्त पर अल्लाह ने उसके बेटे की जगह मेमना रख दिया. अल्लाह हजरत इब्राहिम की निष्ठा से खुश हो गये. हजरत मोहम्मद साहब का आदेश है कि कोई व्यक्ति जिस भी परिवार, समाज, शहर या मुल्क में रहने वाला है, उस व्यक्ति का फर्ज है कि वह देश, समाज, परिवार की हिफाजत के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार रहे. ईद-उल-फितर की तरह ईद-उल-जुहा (बकरीद) में भी गरीबों और मजलूमों का खास ख्याल रखा जाता है. कुर्बानी के सामान के तीन हिस्से किए जाते हैं. एक हिस्सा खुद के लिए रखा जाता है, बाकी दो हिस्से समाज में जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है.

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