मुजफ्फरपुर: दिन के 1.20 बजे. छाता चौक से पानी टंकी तक जाने के लिए टेंपो को जैसे ही हाथ दिया. बीच सड़क पर ही चालक ने टेंपो रोक दिया. इस दौरान पीछे से आ रहा मोटरसाइकिल सवार उससे लड़ते-लड़ते बचा. टेंपो चालक से जब उसने बीच सड़क पर रुकने की बात कही, तो उसने कहा, देखते नहीं, अंधे हो क्या? इस पर मोटरसाइकिल ने आंख तरेरी, तो टेंपो चालक ने कहा, अपना रास्ता देखो. इसके बाद मोटरसाइकिल सवार आगे बढ़ जाता है.
कहा-सुनी के बाद टेंपो चालक सवाल करता हैं. कहां जाना है, जेल चौक? नहीं पानी टंकी, वो कहता है, बैठ जाओ. उधर से ही होकर जायेंगे. अगली सीट पर बैठने का इशारा करता है. इस पर मेरी ओर से कहा जाता है, पुलिस ने तो आगे की सीट पर बैठने पर रोक लगा रखी है. केवल एक ही व्यक्ति बैठ सकता है और आप दो लोगों को बैठा रहे हैं. वो कहता है, आपसे पुलिसवाले ने कहा होगा. हमसे नहीं कहते पुलिस वाले. आप बैठिये. हम आगे नहीं बैठायेंगे, तो कमायेंगे क्या? इसके कुछ देर बाद टेंपो वाला खुद ही बोलने लगा, ये नियम केवल स्टेशन रोड पर चलनेवाले टेंपो पर लगा है. बाकी जगहों के लिए नहीं है.
इसी बीच टेंपो कलमबाग चौक से आगे बढ़ता है. अघोरिया बाजार से पहले रिलायंस पेट्रोल पंप के पास आरसीसी सड़क बन रही है. एक तरफ सड़क बन रही है. इसकी वजह से सड़क के दूसरे छोर पर पानी लगा है. पानी से होकर टेंपो गुजर रहे हैं. बड़ी समझदारी से टेंपो वाले आगे बढ़ते हैं, जब इस गंदे पानी से टेंपो गुजर रहा था, तभी मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति पानी में गिर जाता है, क्योंकि उसे पता नहीं था, जिस जगह से वो जा रहा है, वहां गड्ढा है. दिन में कई बार गुजरने के कारण टेंपो चालकों को ये रास्ता बखूबी मालूम है कि किस तरह पर कैसे चलना है. गंदे पानी से गुजर कर टेंपो अघोरिया बाजार चौक पहुंचता है. इस दौरान टेंपो की अगली सीट पर तीन और बीच वाली सीट पर चार सवारियां बैठ चुकी होती हैं. मना करने के बाद भी अगली सीट पर टेंपो चालक जबरन तीसरी सवारी को बैठता है. जैसे ही अघोरिया बाजार चौक के आगे टेंपो बढ़ता है, कुछ सवारियां दिखती हैं, चालक कहता है. पीछे की सीट खाली है इस पर सवारियां मुंह मोड़ लेती हैं. टेंपो चालक आगे बढ़ता है. नीम चौक के पास कुछ सवारियां मिलती हैं, जो पिछली सीट पर बैठती हैं. इस तरह से टेंपो पूरा भर जाता है. मिठनपुरा चौक पर कोई सवारी नहीं उतरती. टेंपो आगे बढ़ता है. एमडीडीएम कॉलेज की ओर जहां बड़े पैमाने पर जल जमाव है. यहां भी किस तरह से टेंपो को पार करना है. इसके बारे में चालकों को बाखूबी पता है. गंदे पानी से टेंपो पार करते समय चालक कहता है, हमने एक सप्ताह तक टेंपो बंद रखा था, क्योंकि यहीं पर एक दिन गड्ढे में फंस गये थे, जिसमें तीन हजार रुपये का नुकसान हुआ. जितनी कमाई नहीं उतना खर्च. ऐसे में टेंपो कैसे चलायेंगे. इसी बातचीत के दौरान हम लोग पानी टंकी चौक पहुंच जाते हैं, जहां वो 15 रुपये किराया वसूलता है, जबकि वापसी के दौरान दूसरा टेंपो चालक इसी रास्ते का दस रुपये लेता है.