मुजफ्फरपुर: प्रमंडलीय कार्यालय में सोमवार को कमिश्नर नर्मदेश्वर लाल की अध्यक्षता में आयोजित क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (आरटीए ) की बैठक का वाहन मालिकों ने यह कहते हुए बहिष्कार कर दिया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
उनका कहना था कि पिछले बैठक में हुए निर्णय की प्रोसिडिंग तक नहीं होती. आरटीए कार्यालय में एक वरीय लिपिक की मनमानी चलती है. इससे वाहन मालिक परेशान होते हैं. यही कारण है कि लिए गये निर्णय का अनुपालन नहीं हो पाता है. इस स्थिति में बैठक करने से ट्रांसपोर्टरों को क्या फायदा होगा, इस बात से आक्रोशित वाहन मालिक काफी देर तक कार्यालय परिसर में नारेबाजी व हंगामा करते रहे.
ट्रांसपोर्टर का गुस्सा इस बात को भी लेकर था कि पांच जिले के वाहन मालिक की बैठक होने के बावजूद प्रशासन की ओर से बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गयी थी. सुबह दस बजे से पांच सौ से अधिक के संख्या में जुटे मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली व चंपारण के वाहन मालिक को बैठने की जगह नहीं होने से इधर – उधर भटकना पड़ा.
मुजफ्फरपुर ट्रांसपोर्ट फेडेरेशन के जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा ने बताया कि वाहन मालिकों से अंग्रेजी हुकूमत जैसा व्यवहार किया गया गया. श्री शर्मा ने कहा कि पूर्व में आरटीए की बैठक प्रमंडल सभाकक्ष में होती थी. सभी ट्रांसपोर्टर को अपने बात रखने का मौका मिलता था. इस बार की बैठक में ट्रांसपोर्टर को बारी – बारी से बुलाया जा रहा था. इससे से भी वाहन मालिकों में नाराजगी थी. वाहन मालिक को सामूहिक रुप से बैठक में बात रखने से रोका गया.