मुजफ्फरपुर: जिला परिषद अध्यक्ष चंदा देवी ने कहा कि गांव में सबसे अधिक बिजली संकट है. इसका खामियाजा गरीबों व उनके बच्चों को उठाना पड़ता है़ बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल काफी कारगर साबित होगा. केंद्र व राज्य सरकार को अक्षय ऊर्जा को सूबे में बढ़ावा देना चाहिए़.
बीबीगंज स्थित सेवा सदन में अध्यक्षा ने बतौर मुख्य अतिथि ग्रीनपीस व सेंटर फॉर एनवॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के संयुक्त कार्यक्रम का दीप जला कर उद्घाटन किया़ उन्होंने कहा कि धनरई मॉडल लागू करने से सूबे के 1900 गांवों का बिजली संकट दूर हो जायेगा.
‘बिहार में ऊर्जा उपलब्धता और ग्रामीण विद्युतीकरण’ विषय पर आयोजित क्षेत्रीय परामर्श बैठक में करीब 100 से अधिक सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधियों व प्रबुद्घजनों ने सूबे में अक्षय ऊर्जा क्रांति लाने की वकालत की़ सरकार से मांग की कि वह धरनई में स्थापित सोलर माइक्रोग्रिड की तर्ज पर व्यापक ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम को सूबे लागू करे. ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर (एनर्जी) अभिषेक प्रताप ने कहा, जहानाबाद जिला के मखदुमपुर प्रखंड में स्थित धरनई गांव में गत 20 जुलाई को एक सोलर माइक्रोग्रिड की शुरुआत हुई है़ संचालन ग्रीनपीस इंडिया, बेसिक्स और (सीड) साझा तौर पर कर रहे हैं़ सीड के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर नवीन मिश्र ने कहा, सूबे की 82 फीसदी लोगों को माइक्रोग्रिड ही बिजली दे सकता है. सरकार अक्षय ऊर्जा क्रांति के इस मॉडल को सूबे में लागू कऱे
यहां बेगूसराय, वैशाली, मोतिहारी, बेतिया, शिवहर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया व सीतामढ़ी के काफी लोग मौजूद थे. जदयू के महानगर अध्यक्ष प्रो शब्बीर अहमद ने कहा, अक्षय ऊर्जा आज समय की मांग है.
क्या है धनरई मॉडल
विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा पर आधारित यह स्मार्ट ग्रिड मॉडल करीब 100 किलोवाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखता है़ 450 घर व 50 दुकानों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रोशनी दे रहा है़ सिंचाई के लिए बिजली सुविधा उपलब्ध करा रहा है़ तीन में निर्मित इस प्रणाली से 60 स्ट्रीट लाइटें, दो स्कूल, एक स्वास्थ्य केंद्र और एक किसान प्रशिक्षण केंद्र को बिजली 24 घंटे मिल रही हैं़ प्रगति की उम्मीद जगा दी है़.